हमला फिर हो गया। यह आतंकी हमला कम नहीं था। इसने भी कई जानें लीं। हम अपनी पीठ जरुर थपथपा सकते हैं कि हमारे बहादुर जवानों ने आतंकियों को मार गिराया, लेकिन वह हमारे जवान हमसे छीन ले गया।
सुबह हुए इस हमले में पठानकोट का एयरफोर्स बेस असुरक्षित हो गया था। हमारी सुरक्षा एजेंसियां कहां चूक गयीं यह कोई बताना नहीं चाहता।
जब भी हम पाकिस्तान से दोस्ती करने की बात कहते हैं, ऐसा लगता है जैसे वहां पहले से तैयार बैठे आतंकी संगठन अपना काम शुरु कर देते हैं। पिछले दिनों भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पाक पीएम नवाज शरीफ से गले मिलकर उनके यहां एक वैवाहिक कार्यक्रम में शरीक हुए थे।
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तब ऐसा लग रहा था कि माहौल बदल रहा है। मगर ऐसा हुआ नहीं। माहौल बदलने से रहा, वह तो बिगड़ गया। नये साल की शुरुआत में भारत में आतंकी घटना को अंजाम दे दिया गया।
एक साल में पंजाब राज्य में यह दूसरा बड़ा आतंकी हमला है।
हमारे लिए यह कई दिनों तक चिंतन का विषय रहेगा कि हमला रोकने में हमारी सुरक्षा एजेंसियां कहां चूक गयीं। साथ ही कई अन्य सवाल भी होते रहेंगे जिनका सरोकार आतंकी गतिविधियों से है।
भारत और पाकिस्तान के संबंधों को इसी तरह बिगड़े रहना पड़ सकता है। पाकिस्तान ने आतंकवाद को रोकने में अपनी अक्षमता पहले दिखाई है या वह दिखावा करता है। लेकिन भारत को समझना होगा कि वह पराये मुल्क पर भरोसा करने के बजाय अपना आंतरिक सुरक्षा सिस्टम स्वस्थ रखे।
-मोहित सिंह
(ये लेखक के अपने विचार हैं)
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