किसान अमरोहा जिले में जगह-जगह पंचायत कर अपनी मांगों को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं। प्रदेश और केन्द्र सरकार की उदासीनता की वजह से किसान बहुत निराश हैं।
अमरोहा में भारतीय किसान यूनियन(भानु) के प्रांतीय सचिव चौ. दिवाकर सिंह का कहना है कि उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा घोषित गन्ना मूल्य कम है। हमें 350 रुपये से नीचे एक भी पैसा नहीं चाहिए। दो महीने बीतने के बाद भी किसानों को उनके गन्ने का बकाया नहीं मिला। कम से कम 15 जनवरी तक का तो पैसा चीनी मिल किसानों को दें।
भाकियू पंचायत में कहा गया कि किसानों के पास अपने परिवार के खर्चे के लिए पैसे नहीं हैं। उन्हें बच्चों की फीस, घर के अन्य खर्चे आदि के लिए पैसे की आवश्यकता है। किसान आर्थिक रुप से कमजोर होता जा रहा है। उसके सामने कई समस्यायें खड़ी हो गयी हैं। सरकारें चुप बैठी हैं और कमजोर होते किसान को देख रही हैं।
किसानों ने कहा कि वे 1 फरवरी को चीनी मिलों पर धरना और प्रदर्शन करेंगे। साथ ही गन्ने की आपूर्ति भी बंद कर दी जायेगी।
हसनपुर में किसानों की एक पंचायत हुई। उन्होंने एक फरवरी को रजबपुर में हाइवे जाम करने की चेतावनी दी है। उनकी मांग थी कि गन्ने का मूल्य 350 रुपये होना चाहिए। मूल्य नहीं बढ़ाया गया तो वे आंदोलन को मजबूर होंगे।
किसानों ने देहरा मिलक और ताहरपुर बिजलीघरों की क्षमता बढ़ाने की मांग रखी। उन्होंने कहा कि किसानों को कम से कम दस घंटे बिजली तो मिले ताकि वे अपनी फसलों को सूखने से बचा सकें। ग्रामीण इलाकों में बिजली की दरें वापस ली जायें। ग्रामीण क्षेत्रों में जो ट्रांसफॉर्मर फुंक जाते हैं बिजली विभाग के कर्मचारी उन्हें बदलने में आनाकानी करते हैं और पैसे की मांग करते हैं। ट्रांसफॉर्मर बिना अतिरिक्त शुल्क के बदले जाने चाहिए।
मंडी धनौरा में भारतीय किसान यूनियन के ब्लॉक अध्यक्ष डूंगर सिंह ने कहा कि बिजली महकमे ने किसानों की बात नहीं सुनीं तो किसी भी समय बिजलीघरों पर ताले डाले जा सकते हैं। किसानों को समय पर बिजली देने में विभाग आनाकानी कर रहा है। उन्होंने गन्ने के रेट को साढ़े ती सौ रुपये करने की मांग करते हुए कहा कि मूल्य की लड़ाई के लिए किसान एक फरवरी को रजबपुर में एकत्रित हो रहे हैं।