सरकार कोई भी तर्क दे लेकिन जानकार कह रहे हैं कि केन्द्र सरकार ने बहुत सोच समझकर स्मार्ट शहरों का चयन किया है। पहली सूची उन्होंने राज्यों को ध्यान में रखकर बनायी है।
उत्तर प्रदेश में चुनाव होने में 2017 का इंतजार कर रही भारतीय जनता पार्टी राजनीतिक मोरचे को फतह करना चाहती है। उसके पास जो हथकंडे हैं उन्हें वह इस साल अपनायेगी। साल के आखिर में या शुरु में जब दूसरी किश्त में स्मार्ट सिटी का ऐलान होगा तो उसमें उत्तर प्रदेश के एक नहीं, उससे अधिक शहर होंगे।
वैसे भी अगले साल सरकार चालीस की संख्या में स्मार्ट सिटीज का ऐलान करेगी।
बिहार की बात करें तो वहां पिछले साल भाजपा बुरी तरह पराजित हुई है। हार का दर्द शायद ही वह भुला पाये। एक बार को दिल्ली की चुभन पर मरहम लग सकता है, मगर बिहार में हार की टीस चुनावी हवा के झोंके के साथ आगे भी दुख देती रहेगी। इसलिए इस बार बिहार खाली हाथ रह गया। अगले साल के लिए देखा जायेगा। क्या पता एक शहर उसे मिल जाये।
भारत के 20 स्मार्ट शहर : पहली सूची में उत्तर प्रदेश, बिहार और बंगाल से एक भी शहर नहीं
पश्चिम बंगाल में भारतीय जनता पार्टी को मालूम है कि उसकी स्थिति पतली है। वह कोशिश कर रही है कि बिना कुछ लिये-दिये ही काम हो जाये। यह चौंकाने वाला जरुर लग सकता है, मगर भाजपा की इसके पीछे क्या राजनीतिक रणनीति है यह बताना मुश्किल है। चर्चा यह भी है कि वहां भाजपा पहले से ही मायूस हो चुकी है। पिछले साल जब 97 स्मार्ट शहरों का ऐलान हुआ था उनमें बंगाल के चार शहर शामिल किये गये थे।
कुछ भी हो, मगर भाजपा के पास पहले से ऐसा असला मौजूद है जो समय आने पर काम आ सकता है। वह उसे धीरे-धीरे इस्तेमाल करती है। वो अलग बात है कि पासे हर बार सीधे नहीं पड़ते क्योंकि वोटर भी अब दूर की सोच कर चलता है।