कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती की रविवार की जम्मू कश्मीर में हुई मुलाकात के राजनीतिक मायने भी निकले जा रहे हैं। कयास लगाया जा रहा है कि यह मुलाकात सोनिया गांधी और महबूबा मुफ्ती की आगे की रणनीति तय करने के लिए जमीन तैयार करने में मदद करेगी।
सोनिया गांधी जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद के निधन के बाद उनके परिवार से संवेदना प्रकट करने गयी थीं। मुफ्ती मोहम्मद सईद ने 7 जनवरी को दिल्ली के एम्स में आखिरी सांस ली थी। वे 24 दिसम्बर से अस्पताल में भर्ती थे।
सोनिया गांधी ने जम्मू कश्मीर में मुफ्ती मोहम्मद सईद की की बेटी महबूबा मुफ्ती से भी मुलाकात की। यह मुलाकात लगभग बीस मिनट तक चली।
उस दौरान कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के साथ राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद, पार्टी के नेता सैफउद्दीन सोज, कांग्रेस की महासचिव अंबिका सोनी, प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष जीए मीर मौजूद रहे।
'मुलाकात राजनीतिक नहीं थी'
कांग्रेस की तरफ से कहा गया है कि यह मुलाकात राजनीतिक नहीं थी बल्कि सोनिया गांधी ने सईद के परिवार के प्रति अपनी शोक संवेदना प्रकट की थी।जम्मू कश्मीर में महबूबा मुफ्ती के मुख्यमंत्री बनने पर उनके सहयोगी दल भारतीय जनता पार्टी ने औपचारिक समर्थन नहीं जताया है।
महबूबा मुफ्ती ने भाजपा के साथ गठबंधन के इरादे पर खुलकर बात नहीं की है। खबर है कि पीडीपी और भाजपा के बीच इस मसले पर नये सिरे से बात चल रही है। उसका क्या हल निकलता है और कितने समय में स्थिति साफ होगी अभी इसपर साफ तौर पर नहीं कहा जा सकता है।
पीडीपी और कांग्रेस पहले भी रहे हैं साथ
इतिहास की बात करें तो 2002 से लेकर 2008 तक पीडीपी और कांग्रेस मिलकर जम्मू-कश्मीर की सत्ता में भागीदार थे। तीन-तीन साल के लिए दोनों पार्टियों के मुख्यमंत्री कार्य कर चुके हैं। 2008 में दोनों दल अलग हुए थे। उन्हें एक-साथ काम करने का अनुभव है।भाजपा अभी स्थिति स्पष्ट करने के मूड में नहीं दिख रही है। वह भी बारीकी से राजनीतिक हलचलों पर नजर बनाये हुए है।