नौगांवा सादात को अमरोहा जनपद की चौथी तहसील बनाने के लिए चौथी बार प्रक्रिया शुरु होने वाली है। अखिलेश यादव के मुख्यमंत्री रहते हुए इससे पहले भी शासनादेश के तहत यहां से प्रशासन ने तीन बार प्रस्ताव भेजे थे, जो नयी तहसील के मानक पूरे न कर पाने के कारण तीनों बार खारिज हो गये थे। विज्ञान प्रौद्योगिकी परिषद के चेयरमेन मौलाना जावेद आब्दी और विधायक अशफाक अली खां ने विधानसभा चुनाव के नजदीक आते ही एक बार फिर नयी तहसील की गुहार मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के दरबार में लगायी जिसपर उन्होंने नौगांवा सादात को तहसील बनाने की घोषणा कर दी।
कैसे बनेगा नौगांवा सादात तहसील?
मुख्यमंत्री की घोषणा हो गयी और प्रशासन इसके लिए हरकत में भी आयेगा। फिर भी यह बड़ा सवाल है कि जब पहले तीन बार प्रस्ताव मानकहीन होने पर खारिज हो चुके तो अब यहां कौन सी नयी बात हो गयी जो नया प्रस्ताव पारित हो जायेगा?तहसील बनने में बाधायें
सबसे बड़ी बाधा प्रस्तावित तहसील में एक भी विकास खंड नहीं होना है। जबकि यहां कम से कम दो विकास खंड होने चाहिए। अभी तक पूरे प्रदेश में यही नियम है कि पहले से बने विकास खंड को ही बाद में तहसील और तहसील की जिला बनाया जाता है।नौगांवा पहले विकास खंड बनेगा। उसके बाद उसके साथ कम से कम एक विकास खंड और जोड़ा जायेगा, तब यहां तहसील मुख्यालय बन सकता है। उसी के साथ राजस्व गांवों का कोरम पूरा होना भी जरुरी है। जिले की तीनों तहसीलों में न्यूनतम दो,दो ही विकास खंड हैं। इसलिए किसी भी तहसील का एक भी विकास खंड नौगांवा सादात में शामिल करना नामुमकिन है। जब एक भी विकास खंड पूरे जिले में ही अतिरिक्त नहीं है, तो नौगांवा तहसील कौन से विकास खंड की तहसील होगी?
तहसील बनाने के बचकाने तथा निरर्थक तर्क
तहसील बनवाने के हिमायती दोनों सपा नेता (मौलाना और खां) बिना दीवारों के छत डालने की बात कर रहे हैं। उन्हें तहसील के बजाय नौगांवा में विकास खंड कार्यालय बनवाना चाहिए। इसी के साथ बिजनौर जनपद का हिस्सा कटवाकर एक नया विकास खंड वहां बनवाना चाहिए। इस प्रकार नौगांवा सादात तहसील का आधा हिस्सा अमरोहा और आधा भाग बिजनौर जनपद में हो जायेगा। इस प्रकार नौगांवा नयी तहसील बन जायेगी।नयी तहसील के नाम पर जनता को सजा क्यों?
उपरोक्त प्रक्रिया के अलावा नयी तहसील बनने का कोई रास्ता नहीं। विभागीय प्रशासन भी नियम विरुद्ध तहसील नहीं बना सकता। और उपरोक्त ढंग से तहसील बनाने के अलावा कोई बेहतर विकल्प भी नहीं। यदि नयी तहसील अस्तित्व में आयी तो बिजनौर के उन गांवों के बाशिन्दों की एक टांग अमरोहा जनपद और दूसरी टांग बिजनौर जनपद में होने से सरकारी काम में नयी अड़चनें आयेंगी।आब्दी और अशफाक से पूछा जाना चाहिए कि अपनी जिद पूरी करने के लिए वे गांवों के हजारों बेकसूर लोगों को क्यों परेशान चाहते हैं? अमरोहा के वकील कानूनी बारीकियों को आब्दी और खां से अधिक जानते हैं, तभी वे नयी तहसील का विरोध कर रहे हैं।