राजनीतिक गर्मी की शुरुआत : मौसम खिल गया है, आओ दिल की बात करें

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हमारे शहर में मौसम बहुत खिला-खिला है। ऐसा लगता है सर्दी को किसी ने धोबी-पछाड़ दिया है। वह गिर गयी है और उसे उठने का मौका मिलना मौजूदा हालात को देखकर नामुमकिन लग रहा है। लेकिन जानकारों को शक है कि एक पंच अभी बाकी है। वो अलग बात है कि पंच में कितना दम होगा?

नरेन्द्र मोदी के मन की बात में सर्दी का जिक्र नहीं हुआ। उन्होंने देश को बदलने की ठानी है, वे देश के प्रधानमंत्री हैं। भाजपा के नेता, प्रवक्ता और कार्यकर्ताओं को जनता के सामने पीएम मोदी को इस तरह से पेश करना पड़ता है जैसे उनके बारे में कम लोग जानते हैं। सभी को मालूम है कि वे देश के पीएम हैं, बताने की जरुरत नहीं।

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उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी की मुखालाफत करने की होड़ है। सत्ता में आने के बाद बाकी तो विपक्ष है। उनकी तादाद ज्यादा हो सकती है। अपने पराये हुए हैं, पराये अपने हुए हैं। राजनीति की हकीकत में बदलाव नहीं आया, देखने में फर्क जरुर आ गया है। चालें उसी तरह काम करें, टेकनॉलॉजी में बदलाव हुआ है।

आसमान में धूप निकल कर अपने जलवे बिखर रही है। देश की राजनीति में भी दिल की बात करने वालों की भीड़ चल निकली है। आओ कुछ मन की बात करें, वे करेंगे, हम क्यों पीछे रहें।

राजनीतिक गर्मी की शुरुआत मौसम के साथ नहीं होती, मगर परिस्थिति पैदा हो जाये तो मजबूरी है।

उत्तर प्रदेश में सबसे अधिक गर्मी बढ़ने वाली है। यहां अमर सिंह नये अवतार में आने की सोच रहे हैं। यहां नरेन्द्र मोदी अपने चेहरे को बिहार की तरह जोड़ने से बच रहे हैं। यहां राहुल गांधी उम्मीदों के सपने सजा रहे हैं जिनका टूटना ही मायावती के लिए बेहतर है।

सजावटें और भी हैं, मगर बेचारे अखिलेश यादव और उनके पिताजी दुविधा में हैं। उनके लिए आसमान में खिली धूप को देखने का मौका नहीं है। जोड़तोड़ और राजनीतिक चमत्कार से भी बहुत पार्टियों को उम्मीदे हैं जिसपर मुझे लगता है कि इस बार वे उतने कामयाब नहीं हो सकते।

आजम खां को भूलना और उत्तर प्रदेश की राजनीतिक बात करना बिना तड़के की दाल के समान है। मगर तड़का तो अमर सिंह की दस्तक लगा रही है।

चलिए मौसम के मद में चूर होने की कोशिश कीजिये, कहीं खो मत जाईयेगा कि पता ही न चले कि मुलायम कौन, अमर कौन, आजम कौन, राहुल कौन, माया कौन, और न जाने कौन-कौन, फिर अपने से मत पूछना-'पहचान कौन।’

-गजरौला टाइम्स डॉट कॉम के लिए हरमिन्दर सिंह.