विधानसभा चुनावों की तैयारी जिस तरह उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की चल रही है, वह हैरान करती है। इससे आम लोगों को उतनी हैरानी नहीं हो सकती है जितना सियासी लोगों को हो सकती है।
चुनाव के दौरान अखिलेश बाबू के पास बताने को बहुत कुछ होगा। लेकिन असल में ज्यादा कुछ नहीं होगा।
वे जिन दावों और वादों के सहारे सत्ता में जबरदस्त तरीके से दाखिल हुए थे उससे लगता है कि उनके मुताबिक उन्होंने बेहतर काम किया है।
लेकिन जमीनी हकीकत को भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। किसान और मजदूरों का नाम बार-बार लेना शायद ही कोई पार्टी भूलती होगी। सभी जानते हैं कि आजाद भारत में किसान और मजदूरों का भला किसी सरकार ने नहीं किया। बल्कि साल दर साल उनकी हालत खराब होती जा रही है।
अखिलेश यादव और उनके पिता मुलायम सिंह यादव तथा उनके पार्टी नेता किसान, गरीब और मजदूर की बात करते हैं। वे कहते हैं कि उनकी सरकार ने सबका भला किया है। वे यह भी कहने से नहीं चूकते कि आने वाले दिनों में और काम किये जायेंगे जिससे किसान और मजदूर की स्थिति बेहतर होगी।
अखिलेश के पास एक बात और कहने को है और वह उत्तर प्रदेश की राजधानी में मैट्रो का संचालन।
सरकार ने चाहें कुछ किया हो या न किया हो, लेकिन लखनऊ में मैट्रो सेवा को लोग जानते हैं।
सरकार दावा कर रही है कि चुनाव से पहले वे मैट्रो सेवा चालू कर देंगे। मौजूदा काम की गति को देखकर उनकी बात सही मालूम पड़ रही है।
लेकिन काम तो पूरा होने की उम्मीद अगले साल मई तक लगायी जा रही है। जबकि चुनाव भी लगभग उसके आसपास ही होंगे।
अखिलेश यादव के पिता मुलायम सिंह अपने बेटे को समय-समय पर हिदायत देते नहीं थकते। वे ऐसा लगता है जैसे अखिलेश को किसी सियासी स्कूल में पढ़ा रहे हों जहां के वे हैडमास्टर की भूमिका में हों।
मुलायम अपने बेटे की खामियों की ओर इशारा करने से पीछे नहीं हटते। लगता है वे इसे अपना कर्तव्य भी समझने लगे हैं। ऐसा करके वे पार्टी को कितनी मजबूती प्रदान कर रहे हैं यह समय बतायेगा लेकिन मौजूदा समय में अखिलेश सरकार पर उम्मीदों का बहुत भारी दबाव है।
मेरे हिसाब से बिजली व्यवस्था और मैट्रो सेवा के अलावा अखिलेश सरकार के पास ज्यादा कुछ बताने को नहीं है। ये दोनों बातें भी जबतक चल रही हैं तबतक ही इनपर भरोसा है।