नगर पंचायत के सभी वार्डों में गत वर्ष दो सौ लाइटें लगी थीं। सभासदों तथा पालिका कार्यालय सूत्रों के अनुसार प्रति लाइट 16 हजार रुपये के हिसाब से कुल 32 लाख रुपयों का बिल मंजूर किया गया। इनमें से अधिकांश लाइटें एक माह भी नहीं जलीं।
लोगों का कहना है कि ढाई तीन हजार में बढ़िया कंपनी की लाइटें आ जाती हैं। सोलह हजार की लाइट खरीद में ही घोटाले की बू आती है जबकि ऐसी लाइटें तो बहुत ही सस्ती होती हैं।
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लगता है, इस बार और भी मोटा मुनाफा कमाने का प्रोग्राम बनाया गया है। पिछले 32 लाख की जगह दो सौ 50 लाख तो बहुत अधिक राशि है। इसी से अनुमान लगाया जा सकता है कि अगले साल और भी बड़ा प्रोग्राम है।
हालांकि बताया जा रहा है कि पथ प्रकाश में केवल लाइटें ही नहीं और भी खर्च आता है।
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चेयरमेन हरपाल सिंह, सभासदों का भी पूरा ध्यान रखते हैं। यही कारण है कि सारे सभासद उनकी सभी योजनाओं को खुशी-खुशी स्वीकृति प्रदान कर देते हैं। जो सभासद कार्यालय से बाहर बसपा या सपा के होते हैं, वे भी नगर पालिका कार्यालय में पहुंचते ही भाजपा के होने में राहत महसूस करते हैं।
लोग शौचालयों की मांग कर रहे हैं तो करते रहें। नगर के चेयरमेन और सभासदों को तो लाइटें लगवाने में अच्छा लग रहा है। अगली बार और बजट बढ़ा लेंगे।