15 अप्रैल को नौगांवा सादात में एक वलीमा के मौके पर मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के आने की तैयारियां जहां जोरों पर हैं, वहीं बुरी तरह गुटबंदी में फंसी जिला समाजवादी पार्टी के नेताओं में अभी से इसपर मंथन शुरु हो गया है कि मुख्यमंत्री के साथ मंच पर कौन-कौन नेता बैठेंगे, तथा स्वागत समिति और आगवानी आदि में शामिल नामों को लेकर भी माथापच्ची जारी है।
वलीमा तो एक बहाना है, लेकिन असली मकसद नौगांवा सादात में नयी तहसील का शिलान्यास कराया जाना है। इस शिलान्यास के साथ कई समस्यायें हैं। बिना भौगोलिक आधार के केवल राजनैतिक लाभ को देखकर बनायी इस विधानसभा सीट के बाद अब तहसील मुख्यालय का बनाया जाना उससे भी अधिक नासमझी भरा कदम होगा। चंद लोगों की इस सनक को सपा के भी कुछ नेता अंदरुनी रुप से उचित नहीं मान रहे।
उधर पिछली बार जब भी सपा का कोई बड़ा नेता आया है तो सपा की गुटबंदी सामने आ गयी है। वरिष्ठ मंत्री आजम खां के बछरायूं आगमन पर सपा नेता रिफाकत हुसैन ने दूसरे सपा नेताओं को मंच तक भी नहीं आने दिया जबकि कई कद्दावर नेता स्वतः ही कार्यक्रम में नहीं पहुंचे। राहुल कौशिक तो नाराज होकर बीच में ही लौट आये थे।
सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव तक के कार्यक्रम में सपाई आपस में भिड़ते देखे गये हैं। इस बार तो सूबे में कई स्थानों पर पहले ही सपा नेताओं में आपसी वारदातों के समाचार हैं।
मौलाना आब्दी और अशफाक खां के इस कार्यक्रम से भी सपा के कई बड़े नेता दूरी बनाना चाहते हैं जबकि कई से ये दोनों नेता किनारा करने का मन बना चुके हैं। आगे खुदा की मर्जी।