यदि उत्तर प्रदेश में भाजपा, रालोद गठबंधन परवान चढ़ा तो मंडी धनौरा और नौगांवा सादात विधानसभा क्षेत्रों के उन भाजपा नेताओं के सामने मुसीबत खड़ी हो जायेगी, जो इन सीटों से उम्मीदवारी की उम्मीद लगाये थे। गठबंधन के बाद ये दोनों सीटें रालोद के खाते में जाने की पूरी संभावना है।
अमरोहा जिले में चार विधानसभा सीटे हैं। जहां लंबे समय से रालोद यानि चौधरी अजीत सिंह का अच्छा प्रभाव रहा है। 2012 के चुनाव में मंडी धनौरा में सपा की लहर के बावजूद रालोद उम्मीदवार सपा उम्मीदवार से मामूली अंतर से हारा था। जबकि भाजपा चौथे स्थान पर थी। ऐसे में यह सीट रालोद के खाते में जा सकती है।
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यहां से पिछला चुनाव हारे हरपाल सिंह इस बार फिर से भाजपा उम्मीदवारी का इरादा रखते हैं। यदि गठबंधन हो गया तो उनकी आशाओं पर पानी फिरना तय है। वैसे भी इस बार वे पहले से भी बदतर हालत में हैं। पिछली बार चौथे स्थान पर थे।
बसपा उम्मीदवार जयदेव सिंह के मतों में विभाजन हो सकता है.
उधर नौगांवा सादात सीट को रालोद छोड़ने वाला नहीं। यहां से भाजपा के कई नाम उम्मीदवारी के प्रयास में हैं। यदि गठबंधन सिरे चढ़ गया तो उन सभी की आशाओं पर पानी फिर जायेगा।यह नहीं कहा जा सकता कि यहां से रालोद उम्मीदवार कौन होगा?
यह कयास लगाये जा रहे हैं कि किसी जाट को पार्टी मैदान में लायेगी। यदि ऐसा हुआ, तो जिलाध्यक्ष रामवीर सिंह या शूरवीर सिंह में से कोई-सा 'वीर' मैदान में आयेगा। इससे फिलहाल मजबूत चल रहे बसपा उम्मीदवार जयदेव सिंह के मतों में विभाजन होने से उन्हें हानि उठानी पड़ सकती है।