संकरी गलियां, भीड़ भरे बाजार, दो बूंद बरसते ही कीचड़ और गंदे पानी से लबालब नालियां और सड़कों पर गंदगी के अम्बार इसी के साथ छोटे-बड़े सत्ता और विपक्ष के नेताओं की खासी तादाद। ऐसी पहचान बन गयी है साम्प्रदायिक सौहार्द के लिए खास चर्चित नगर अमरोहा की।
लोगों की समस्याओं को दूर करने और इस एतिहासिक नगर की चहुंमुखी विकास कराने के नाम पर पालिकाध्यक्ष और उनके बोर्ड के सभासद बार-बार सत्तासीन होते रहे हैं। परंतु नगर की समस्यायें ज्यों की त्यों हैं। चेयरमेन तथा दूसरे जनप्रतिनिधियों ने यहां बिना जरुरत के शहर में बड़े-बड़े दरवाजे बनवाये जबकि ऐसे लोगों की बड़ी तादाद है जिनके घरों में दरवाजे तक नहीं। हजारों लोग जीवन की मूलभूत जरुरतों को तरस रहे हैं। जितना धन इन मध्यकालीन नबावों की तर्ज पर बनवाये दरवाजों पर खर्च किया गया है उतने में कई गरीबों के घर बन गये होते।
परेशान लोग बार-बार पालिकाध्यक्ष और बोर्ड सभासदों को भी बदलते रहे हैं, लेकिन 'सभी धान सत्ताइस सेर निकले’। लिहाजा नगर की शक्ल नहीं बदली।
सपा, भाजपा, कांग्रेस, बसपा, वामपंथी तथा कई अन्य दलों के बड़े-बड़े नेता यहां बसे हैं और आयेदिन किसी न किसी समारोह या कार्यक्रम में जनता को उपदेश देते देखे जा सकते हैं, लेकिन जनसमस्यायें ज्यों की त्यों हैं, बल्कि प्रति वर्ष कोई न कोई नई समस्या पैदा हो जाती है.
सबसे बड़ी दिक्कत जल निकासी की है। थोड़ा बरसते ही नगर में ज्यादातर सड़कें पानी और कीचड़ से लबालब हो जाती हैं। लोग इस सड़े और बदबूदार पानी से होकर गुजरने को मजबूर होते हैं। सत्ताधारी सपा के जिला कार्यालय के सामने की सड़क पर चार बूंद बरसते ही कीचड़ और पानी भरना, इस बात का सबूत है कि सपा नेता कितने लापरवाह हैं।
शहर की सड़कें घनी आबादी और संकरी होने के कारण कूड़ा-कचरा और गंदगी से अटी रहती हैं। कई-कई दिन तक गंदगी के ढेर सड़ते रहते हैं। संक्रामक रोगों के मरीजों की इसीलिए यहां भरमार है, जिससे शहर का वातावरण दूषित होता रहता है। कई मोहल्लों में लोग नाक बंद कर निकलते हैं। इन मोहल्लों में कैद लोगों का क्या हाल होगा? यह वे ही बेहतर जानते होंगे।
नगर में नेताओं की भरमार है। राजनेताओं से लेकर अनेकों एनजीओ तथा सामाजिक संगठनों के नेताओं की भरमार है। सपा, भाजपा, कांग्रेस, बसपा, वामपंथी तथा कई अन्य दलों के बड़े-बड़े नेता यहां बसे हैं और आयेदिन किसी न किसी समारोह या कार्यक्रम में जनता को उपदेश देते देखे जा सकते हैं, लेकिन जनसमस्यायें ज्यों की त्यों हैं, बल्कि प्रति वर्ष कोई न कोई नई समस्या पैदा हो जाती है।
सत्ताधारी सपा के जिला कार्यालय के सामने की सड़क पर चार बूंद बरसते ही कीचड़ और पानी भरना, इस बात का सबूत है कि सपा नेता कितने लापरवाह हैं.
सपा के मंत्री महबूब अली यहां के सबसे मजबूत और कद्दावर नेता हैं। उनका बेटा एमएलसी है। पत्नि जिला पंचायत अध्यक्ष रह चुकी हैं। डा. हरि सिंह ढिल्लो एमएलसी रह चुके। वे भी लंबे समय से राजनीति में हैं। वे भाजपा के कद्दावर नेताओं में से एक हैं। डा. सिराजुद्दीन हाशमी कई शिक्षण संस्थाओं के संचालक तथा वरिष्ठ कांग्रेसी नेता हैं। हरि सिंह मौर्य कांग्रेस के पुराने नेता तथा सामाजिक कार्यकर्ता हैं। बसपा नेता सोमपाल सिंह बसपा सरकार में मंत्री रह चुके हैं। आज भी वे बसपा के जिलाध्यक्ष हैं। बड़े नेताओं की यहां लंबी फेहरिस्त है, जो यहां देनी संभव नहीं।
इस सबके बावजूद प्रेम और सौहार्द में अपनी पहचान कायम रखने वाला शहर मूलभूत जरुरतों के लिए तरसे, तो हैरानी की बात है। साथ ही इन नेताओं के लिए भी बहुत खुशी का विषय नहीं। इन्हें जन समस्याओं के निदान को पालिका बोर्ड पर दबाव बनाकर स्वयं भी सहयोग करना चाहिए।