दिल्ली के नगर निगम उपचुनाव कांग्रेस के लिए नया जीवन लेकर आये हैं। जो पार्टी विधानसभा चुनाव में साफ हो चुकी थी, उसे नगर निगम की 13 सीटों में से 4 का मिलना बहुत बड़ी बात है। वहीं आम आदमी पार्टी ने पहली बार निगम चुनाव में हाथ आजमाया और उन्हें सबसे ज्यादा सीटें यानि 5 सीट पर विजय मिली। भाजपा का पहले कब्जा था, जिसे केवल 3 सीटें मिलीं। एक सीट निर्दलीय प्रत्याशी के पास गयी।
यह चुनाव साफ तौर पर भाजपा के लिए बड़ा झटका साबित हुआ है। 2013 में विधानसभा चुनाव जीत चुके विनोद बिन्नी को भाजपा ने खिचड़ीपुर से उम्मीदवार बनाया लेकिन उन्हें कांग्रेस के आनंद कुमार ने पराजित कर दिया। बिन्नी पहले आम आदमी पार्टी में विधायक थे। झिलमिल वार्ड से पूर्व विधायक जितेन्द्र शंटी को भी हार का मुंह देखना पड़ा। उन्हें कांग्रेस के पंकज ने हरा दिया।
यह चुनाव अगले साल होने वाले एमसीडी चुनाव का सेमीफाइनल माना जा रहा था। इसमें आम आदमी पार्टी सबसे अधिक सीट जीतकर पहले नंबर पर रही है। उसके बाद कांग्रेस और भाजपा का नंबर आता है।
भाजपा के हाथ से नगर निगम की सीटें जाना उसके लिए किसी खतरे की घंटी से कम नहीं है। इससे पार्टी की ताकत को ठेस पहुंची है। भाजपा अपनी अगली रणनीति पर अब गहनता से विचार कर रही है।