जाट आरक्षण पर हरियाणा में रोक लगा दी गयी है। पंजाब-हरियाणा हाइकोर्ट ने जाट आरक्षण पर 21 जुलाई तक के लिए अंतरिम रोक लगायी है। मामले में अगली सुनवाई 21 जुलाई को होनी है। माना जा रहा है कि इससे हरियाणा सरकार को झटका लगा है क्योंकि उन्होंने 6 जातियों को आरक्षण की बात कही थी जिसे अब कोर्ट ने एक तरह से नकार दिया है।
मनोहर लाल खट्टर सरकार ने हरियाणा में छह जातियों को आरक्षण देने का फैसला किया था। इनमें जाट, मूला जाट, जट्ट सिख, विश्नोई, त्यागी शामिल थे।
हरियाणा में सफीदों निवासी शक्ति सिंह ने 23 मई को एक याचिका दाखिल की जिसमें कहा है कि जाट आरक्षण देने के लिए आधार बनाई गयी केसी गुप्ता रिपोर्ट को सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही खारिज कर दिया है। फिर उस रिपोर्ट के आधार पर आरक्षण क्यों लागू किया गया?
4 अप्रैल को हरियाणा सरकार के विधानसभा बजट सत्र में विधेयक लाकर जाटों सहित छह जातियों को आरक्षण दिया था.
याचिका में कहा गया है कि हरियाणा सरकार ने जाटों के दबाव में आकर आरक्षण दिया है। जब सुप्रीम कोर्ट रद्द कर चुका है और राष्ट्रीय पिछड़ा आयोग भी कह चुका कि जाट पिछड़े नहीं हैं, यह कोर्ट की अवमानना है और कानून के खिलाफ है।
हरियाणा में आरक्षण के लिए उग्र आंदोलन के बाद मनोहर लाल खट्टर सरकार झुकी थी और उसने 4 अप्रैल को सरकार के विधानसभा बजट सत्र में विधेयक लाकर जाटों सहित छह जातियों को आरक्षण दिया था। 15 अप्रैल को आरक्षण विधेयक पर राज्यपाल कप्तान सिंह सोलंकी ने मुहर लगायी थी।
कोर्ट के फैसले के बाद जाट नेता अगली रणनीति बनाने में जुट गये हैं। जबकि खट्टर सरकार पहले ही जाटों की खिलाफत झेल रही थी, वह अब फिर से दबाव में आ गयी लगती है।