एक ओर सूखा, दूसरी ओर आंधी ने आम की फसल को भारी नुकसान पहुंचाया है। इससे आम तीस से चालीस फीसदी तक बर्बाद हो गया। मई के माह में यदि एक-दो आंधी इसी तरह आ गयी तो आम और भी बर्बाद हो जायेगा।
इस बार आम की फसल बहुत अच्छी थी। पेड़ छोटे-छोटे आमों से लदे थे। आम उत्पादक खुश थे कि इस बार उन्हें आशातीत लाभ होगा लेकिन मौसम की मार ने उनके अरमानों पर पानी फेर दिया। अभी भी पेड़ों पर इतना आम लदा है कि वह बचा रहे तो आम उत्पादक लाभ में रहेंगे। परंतु वे मौसम खराब होने की संभावना से भयभीत हो जाते हैं।
दो सप्ताह और मौसम शांत रहे तो फिर खतरा नहीं। बरसात आम के लिए लाभकारी है जबकि आंधी सबसे बड़ा खतरा।
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मंडी धनौरा तहसील जिले की अमरोहा तथा हसनपुर तहसीलों से बड़ा आम उत्पादक क्षेत्र है। इसमें गजरौला विकास खंड का सिहाली जागीर गांव सबसे अधिक बागों का गांव है। दोनों ब्लॉक के ग्रामीण क्षेत्रों में चारों ओर आम के बाग़ भारी संख्या में हैं। कुल कृषि भूमि का तीस फीसदी इलाका इस तरह के बागों से भरा है। इसी से पता चलता है कि यह इलाका आम उत्पादन का महत्वपूर्ण क्षेत्र है।
बछरायूं के हफीज रोड चौराहे पर शुक्रवार को सड़कों के दोनों ओर कुम्हारपुरा तक आंधी से टूटे आम के बोरों की लाइनें लगी थीं और सुबह से देर रात तक लोग आम से भरे बोरों को ढोते रहे। यहां से यह आम दिल्ली भेजा जा रहा था। ट्रक भर-भर कर गुरुवार से शुरु हुआ सिलसिला शनिवार तक जारी रहा।
उधर गजरौला का अल्लीपुर चौपला भी आंधी से टूटे छोटे आम के बोरों से अटा पड़ा था। हसनपुर तथा अमरोहा से भी बेमौसम टूटे आम दिल्ली भेजे जा रहे थे। यदि जून में यह आम टूटता तो इसका पांच-छह गुना होता। इसी से पता चलता है कि आंधी ने आम की फसल को कितना बर्बाद किया है।