जाटों को अलग-थलग करने का षड़यंत्र

मनोहर लाल खट्टर हरियाणा जाट

जाटों को हरियाणा में भाजपा द्वारा उनके साथ किये जा रहे छल से समझ जाना चाहिए कि वह उन्हें बर्दाश्त करने को तैयार नहीं बल्कि यह पार्टी हमें गैर-जाटों से अलग-थलग करने का हर संभव प्रयास कर रही है। केन्द्र में भाजपा को सत्ता में लाने में जाट समुदाय का जितना योगदान रहा है, उतना हिन्दुओं के किसी दूसरे वर्ग का नहीं रहा। बल्कि गैर-जाट हिन्दू बहुमत न तो लोकसभा चुनाव में भाजपा के पक्ष में था और न ही आज उस समुदाय का बहुमत उसके पक्ष में है।

पहले लोकसभा चुनाव के परिणामों की चर्चा करते हैं। बीते इन चुनावों में भाजपा को जितना बहुमत जाट बाहुल्य राज्यों से मिला उतना बहुमत उन राज्यों में नहीं मिला जहां हिन्दू तो बहुसंख्यक थे, लेकिन वहां जाट नहीं थे। राजस्थान, पंजाब, हरियाणा, दिल्ली और उत्तर प्रदेश ऐसे राज्य हैं जहां जाट बड़ी तादाद में हैं। इन राज्यों में जितनी भारी सफलता भाजपा को मिली उतनी उन राज्यों में नहीं मिली जहां हिन्दू बहुसंख्यक थे, लेकिन वहां जाट आबादी नहीं थी।

जाटों का नब्बे प्रतिशत मतदाता भाजपा के साथ हो गया था. कितनी हैरतअंगेज बात है कि भाजपा केन्द्र की सत्ता में आते ही सबसे बड़ा विरोध जाटों से ही करने पर उतारु है.


बंगाल, तमिलनाडु, केरल, कर्नाटक आदि ऐसे राज्य हैं जहां लोकसभा और विधानसभा चुनावों में भाजपा का बहुत ही बुरा हाल रहा है। ये हिन्दू बाहुल्य राज्य हैं लेकिन भाजपा के खिलाफ हमेशा रहे हैं, आज भी हैं। इनमें जाटों की बिल्कुल भी आबादी नहीं। जिस महाराष्ट्र में भाजपा ने जोड़गांठ कर सरकार बनायी, वहां उसकी साथी शिवसेना आज भी उसके खिलाफ ही है। यदि यहां भी जाट होते तो उसे अपने दम पर सरकार बनवाते, गैर जाट हिन्दुओं की तरह उसका विरोध न करते।

हरियाणा जाट आन्दोलन

हाल ही में बिहार विधानसभा चुनाव में भाजपा को वहां के हिन्दुओं ने नकार दिया। उस राज्य में भी जाट नहीं हैं। पूरे प्रदेश में जितने भी लोकसभा या विधानसभा चुनाव हुए उनमें हिन्दुओं में केवल जाट ही ऐसा समुदाय है, जो भाजपा के साथ एकजुट होकर खड़ा रहा है। हिन्दूवाद और राष्ट्रवाद का नारा देने वाली इस पार्टी के साथ पूरे देश में दूसरे हिन्दू समुदाय तीस फीसदी भी नहीं हैं। यह मतदान प्रतिशत से ही पता चल रहा है। जाटों का नब्बे प्रतिशत मतदाता भाजपा के साथ हो गया था। कितनी हैरतअंगेज बात है कि भाजपा केन्द्र की सत्ता में आते ही सबसे बड़ा विरोध जाटों से ही करने पर उतारु है।

हरियाणा जहां एक तिहाई आबादी जाटों की है। वहां चुनाव के दौरान ही भाजपा ने मन बना लिया था कि यहां जाट मुख्यमंत्री नहीं बनना चाहिए। जीतने के बाद उसने यह मंशा पूरी भी कर दी, जाट बाहुल्य राज्य में गैर जाट मुख्यमंत्री थोप दिया। उसके बाद से हरियाणा में क्या हो रहा है? जाटों को दूसरे हिन्दू समुदायों से अलग थलग करने का हर हथकंडा अपनाया जा रहा है। दशकों से शांतिपूर्ण प्रगति कर रहे राज्य को अशांत बना दिया गया है। कृषि, उद्योग और व्यापार चौपट होता जा रहा है। जबकि चुनाव से पूर्व प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पहले से समृद्ध राज्य को पिछड़ा बताकर और समृद्ध करने के दावे कर रहे थे। यदि यही हाल रहा और जाट बनाम गैर जाट जहर घोला जाता रहा तो एक खुशहाल राज्य बदहाल राज्य में तब्दील हो जायेगा।

उत्तर प्रदेश के जाटों को अपने पड़ोस में बसे हरियाणा के भाईयों के साथ हो रहे व्यवहार से समझ जाना चाहिए कि हमारे समुदाय के प्रति भाजपा की नीयत में कितना खोट है। विधानसभा चुनाव सिर पर है। हमें फिर फुसलाने की कोशिशें शुरु हो गयी हैं। ऐसे में सचेत रहने की जरुरत है। यदि यहां भी चूक गये तो हरियाणा से भी खतरनाक दौर शुरु होगा।

-जी.एस. चाहल.