दलित-मुस्लिम एकता मंच ने गजरौला पालिका प्रशासन पर आरोप लगाया है कि यहां सफाई मजदूरों खासकर वाल्मीकि समुदाय के लोगों का शोषण किया जा रहा है। हालत इतनी बदतर है कि न्याय मांगने पर इ.ओ. कामिल पाशा गाली देकर बात करते हैं। इस संबंध में मंच ने एक बारह सूत्रीय शिकायत पत्र राज्य सफाई कर्मचारी आयोग के चेयरमेन को देने के लिए तैयार किया है।
शिकायती पत्र में शिकायत की गयी है कि संविदा कर्मचारियों को कुल वेतन से काटने के बाद कम भुगतान किया जाता है। बड़ा बाबू इस काम में संलग्न है। यही नहीं नियमित सफाई कर्मचारियों का भी 15 दिन, 8 दिन, 4 दिन और 2 दिन का वेतन काट लिया जाता है। इसके अलावा प्रत्येक कर्मचारी से छह हजार रुपये जमा किये जाते हैं।
कई मृत और रिटायर हो चुके कर्मचारियों का विभिन्न मदों में जमा धन का भुगतान वर्षों बाद भी नहीं किया गया। इनमें बाबूराम, चमनों, कैलाशो, दया, अमीचन्द, विजय और फकीरा सहित कई लोग हैं जिन्हें पेंशन अथवा बीमा लाभ नहीं दिया गया। हालांकि इनके द्वारा दस से 15 हजार रुपये तक जमा कराये गये हैं।
पत्र में कहा गया है कि नालों की सफाई कर्मचारियों से करायी जाती है। जिसके नाम पर 16 से 20 लाख तक खर्च दिखाया जाता है। यह धन अतिरिक्त काम करने वाले नाला सफाई में संलग्न कर्मचारियों को दिया जाना चाहिए। केवल सौ-दो सौ रुपये भुगतान कर उन्हें इ.ओ. डांट कर भगा देता है।
नगर के किसी भी वाल्मीकि को समाजवादी पेंशन योजना में शामिल नहीं किया गया। पत्र में यह भी आरोप है कि उनके साथ पालिका ने राशन कार्ड बनाने में भी भेदभाव किया है।
पत्र में कहा गया है कि गरीबों के लिए नगर में बनी सरकारी कालोनी में भी नगर के वाल्मीकियों को कोई आवास मुहैया नहीं कराया गया। मांग की गयी है कि सफाई कर्मियों को नगर में सरकारी आवास मुहैया कराये जायें।
राज्य सफाई कर्मचारी आयोग के चेयरमेन से मांग की गयी है कि उनकी शिकायतों और आरोपों की निष्पक्ष जांच करायें तथा पालिका के अत्याचारों और गुलामी से वाल्मीकियों को मुक्त कराने की कृपा करें।
शिकायती पत्र पर अनिल पंवार, जोगेन्द्र वाल्मीकि, कुलदीप पंवार, गजेन्दर, पवन कुमार, धर्मेन्द्र गौड़, जयचन्द्र, दीपक बाबू, ललित कुमार, जगदीश वाल्मीकि, आदि के नाम अंकित हैं।