उत्तरी भारत में मानसून पूरी तरह सक्रिय है। अभी तक सूखे से जूझ रहे इस सूबे में बरसात से कुछ स्थानों पर बाढ़ जैसी स्थिति भी हो जाती है। अमरोहा यहां का ऐसा जनपद है जहां बाढ़ और सूखा दोनों ही परेशानी उत्पन्न करते हैं। जिले के मंडी धनौरा विधानसभा क्षेत्र के एक दर्जन गांव ऐसे हैं जिनका संपर्क बरसात के तीन-चार माह तक शेष क्षेत्र से कट जाता है। पानी से घिरे ये गांव शेष दुनिया से अलग-थलग पड़ जाते हैं।
नावों के सहारे बाढ़ से मुकाबला करते हैं लोग.
ग्राम चकनवाला के पास बना कैप्सूल पुल बरसात होते ही तोड़ दिया जाता है। यही एकमात्र संपर्क पुल होता है जो इन गांवों को दूसरे इलाके से जोड़ता है। बरसात खत्म होते ही रामगंगा पोषक नहर में पानी कम होने पर पुल जोड़ दिया जाता है। बरसात में अपने इलाके से बाहर जाने के लिए लोग नावों का सहारा लेते हैं। यहां से सबसे नजदीक शहर गजरौला पुल पार करके पन्द्रह किलोमीटर पड़ता है। नाव से नदी पार कर जरुरत के लिए लोग किस तरह शहर तक जाते होंगे? जबकि यहां से कहीं भी जाने के लिए यातायात का प्रबंध नहीं है। चकनवाला से चन्द तिपहिया वाहन कभी-कभार चलते भी हैं।
ढांकोवाली, सीसोवाली, जाटोंवाली, रमपुरा, सुल्तानपुर, बिसावली, टीकोवाली तथा देवीपुरा जैसे एक दर्जन इन गांवों में कोई अस्पताल तक भी नहीं है। पशु चिकित्सा का भी इंतजाम नहीं। सस्ते राशन आदि की दुकाने हैं लेकिन डीलरों की मनमानी पर कोई अंकुश नहीं। पशु और महिलाओं के बीमार पड़ने पर बहुत बड़ी दिक्कतें आती हैं। कृषि और पशुपालन मुख्य व्यवसाय है, पशु चोरी की बढ़ती घटनाओं ने इन लोगों के आर्थिक हालात बद से बदतर किये हैं।
यहां से भाजपा सांसद कंवर सिंह तंवर और सपा विधायक एम. चन्द्रा दोनों ने चुनाव के दौरान पक्का पुल बनवाने का वादा कर जीत हासिल की लेकिन, दोनों में से किसी ने भी इसके लिए प्राथमिक कार्यवाही तक शुरु नहीं की, बल्कि उधर झांककर भी नहीं देखा। इन दोनों से पहले के भी किसी सांसद या विधायक ने इन गांवों के दर्द को नहीं सुना। जिला पंचायत चुनाव में वादे करके जीतने वाले भी इधर नहीं झांकते। जिले में दो कैबिनेट तथा तीन दर्जा प्राप्त राज्यमंत्री हैं लेकिन वे भी जिले की सबसे बड़ी समस्या सुनने तक को तैयार नहीं।
नैपाल सिंह राणा, दीपक भड़ाना तथा कय्यूम खां जैसे कुछ क्षेत्रीय नवयुवक इस दिशा में कानूनी औपचारिकतायें पूरी कर पुल बनने का मार्ग प्रशस्त करने का प्रयास कर रहे हैं। कोई भी नेता या जनप्रतिनिधि उनका सहयोग करने की बात दूर, उल्टे काम में व्यवधान ही डालते रहते हैं।
पिछले दिनों इनमें से एक युवक के खिलाफ आपराधिक मामले कुछ नेताओं ने इसी सिलसिले में दर्ज करा दिये। राजनीति को व्यवसाय बनाये रखने वाले नेताओं द्वारा नये, उभरते युवाओं की जनसेवाओं में व्यवधान डालना भी इन समस्याओं का समाधान न होने का बड़ा कारण है।
-टाइम्स न्यूज़ अमरोहा.
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