बसपा सुप्रीमो मायावती का दलित-मुस्लिम एजेंडा बसपा में बिखराव का कारण बन रहा है। स्वामी प्रसाद मौर्य से लेकर चन्द्रपाल सैनी तक चला यह बिखराव थमने का नाम नहीं ले रहा। इसी सिलसिले में पूर्व जिला पंचायत सदस्य चौ. वीरेन्द्र सिंह ने भी बसपा से अपने सैकड़ों समर्थकों के साथ नाता तोड़ लिया। उन्होंने इसे नसीमुद्दीन सिद्दीकी के बसपा में बढ़ते बेजा दखल और उत्पीड़न को प्रमुख कारण बताया है। उन्होंने टिकट वितरण आदि पर वसूली का आरोप भी लगाया है। अनुमान के मुताबिक वीरेन्द्र सिंह भाजपा में जायेंगे।
बसपा कार्यकर्ताओं की बैठक में वीरेन्द्र सिंह ने पत्रकारों के सामने पार्टी को अलविदा कहने की घोषणा की। उनके साथ मौजूद बैठक में सैकड़ों समर्थकों ने इसका समर्थन किया और कहा कि वे बसपा के साथ नहीं हैं। उनकी मंशा भाजपा में जाने की है।
वीरेन्द्र सिंह ने बताया कि पार्टी की कमान मायावती ने नसीमुद्दीन सिद्दीकी को सौंप दी है। वे सपा की तरह एक समुदाय विशेष की बात कर रहे हैं तथा बहुसंख्यक समुदाय को पीछे धकेला जा रहा है। सर्वजन समाज का नारा देने वाली बसपा एक जन -एक समुदाय की नीति पर चल रही है। इसलिए उनके तथा उनके साथियों का ऐसे में बसपा में बना रहना ठीक नहीं था। सो उन्होंने बसपा छोड़ दी।
बैठक में भीष्म सिंह प्रधान, शशि चड्ढा, हरदीप सिंह, गुरबचन सिंह, देवेन्द्र सिंह, संजीव कुमार, योगेन्द्र सिंह, बीडीसी सदस्य राजवीर सिंह, धर्मेन्द्र सिंह, भूपेन्द्र सिंह, प्रकाश सैनी, कमल सिंह, संगवा सिंह, निरंकार, विजय प्रधान आदि मौजूद थे।
-टाइम्स न्यूज़ गजरौला.
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