नोटबंदी जानलेवा बन चुकी है। बीमार लोगों को इलाज के लिए पैसा नहीं मिल पा रहा। लाइनों में घंटों लग रहे हैं, पर बात नहीं बन रही। रिश्तेदार और जान-पहचान वाले भी सहायता करने से बच रहे हैं क्योंकि हर जगह नकदी की कमी है। इसका खामियाजा लोगों को अपनी जान गंवाकर भुगतना पड़ रहा है।
गजरौला थाना क्षेत्र के मोहम्मदपुर गांव में एक अधेड़ कई दिन से बुखार से पीड़ित था। बताया जाता है कि 55 वर्षीय धर्मपाल करीब एक सप्ताह से अधिक से बीमार था। उपचार परिजनों द्वारा जारी था, मगर धर्मपाल की सेहत बिगड़ती जा रही थी। जो रुपये परिवार के पास थे, वे मरीज के इलाज में उठ गये। रिश्तेदार आदि से भी कुछ मांग कर इलाज की रकम दी गयी।
मृतक के परिजनों ने बताया कि जब हर किसी ने पैसे देने से मना किया तो वे मजबूरी में बैंक में पैसे लेने आये जहां भी उन्हें निराशा हाथ लगी। नकदी के कारण एक बेगुनाह को फिर अपनी जान देकर कीमत चुकानी पड़ी।
अमरोहा जिले में नकदी के अभाव में पहले भी मौत की खबरें हैं।
हसनपुर के जयतोली गांव में एक विवाहिता की बुखार से मौत हो गयी। उसके परिजन नकदी न होने के कारण उसका समय पर इलाज न करा सके। 35 वर्षीय कमलेश को टाइफाइड बताया गया था। महिला का पति कई बार इलाज करवाने के लिए पैसा निकालने गया लेकिन मायूसी हाथ लगी। प्रथमा बैंक जयतोली में कैश नहीं मिला। किसी तरह पैसों का इंतजाम कर उसने पत्नि को निजि अस्पताल में भर्ती भी कराया, लेकिन बाद में पैसे के अभाव में वह उसे घर ले आया। शाम को उसकी मौत हो गयी। मृतका के तीन छोटे बच्चे हैं।
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