सपा के शीर्ष नेतृत्व में वर्चस्व की लड़ाई से जिला अमरोहा की चार में से दो सीटों पर उतारे चारों उम्मीदवारों में बेचैनी थी। अब पिता-पुत्र में समझौते हो गया है। वरिष्ठ नेता मो. आजम खां और बेनीप्रसाद वर्मा जैसे नेताओं के बीच में आने से मसला सुलझ गया।
शक्ति परीक्षण से पूर्व ही अखिलेश यादव का पलड़ा भारी होने और मुलायम सिंह यादव को अपनी कमजोरी का अहसास होने से दोनों का फिर से करीब आना संभव हुआ।
इससे मंडी धनौरा और नौगावां सीटों पर खड़े किये गये दो-दो उम्मीदवारों में से एक-एक रह जायेगा। इसपर संशय बरकरार है।
महबूब अली और कमाल अख्तर पहले ही हरी झंडी मिलने से अपनी-अपनी सीटों पर कायम रहेंगे।
नौगावां सादात सीट पर इकरार अंसारी के बजाय अशफाक खां की दावेदारी मजबूत मानी जा रही है। हो सकता है समझौते के बाद शिवपाल यादव की लिस्ट के बजाय अखिलेश की लिस्ट को मान्यता मिले। विवाद की जड़ में उम्मीदवारों का चयन मुख्य था।
मंडी धनौरा से दोनों ही नाम रद्द हो सकते हैं। इनके स्थान पर आलोक भारती सर्वमान्य नाम है।
क्षेत्र के सपा नेता और कार्यकर्ताओं में से अधिकांश लोग आलोक भारती के नाम पर सहमति व्यक्त करते हैं। अब यह शीर्ष नेतृत्व पर निर्भर है कि वह पुराने दोनों नाम उर्वशी चौधरी अथवा जगराम सिंह में से किसी को पसंद करे अथवा भारती को हरी झंडी दे।
विधायक एम. चन्द्रा या उनके बेटे कपिल चन्द्रा को दोनों ही गुटों ने अमान्य करार दिया था।
-टाइम्स न्यूज अमरोहा.
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