बुधवार को डिडौली के डीएनएस इंजीनियरिंग कालेज में जिस छात्र पंकज तोमर का शव पाया गया था, पोस्टमार्टम रिपोर्ट में उसकी हत्या के सबूत दिये गये हैं। अभी तक कुछ लोग इसे आत्महत्या मानने का भ्रम पाल रहे थे। पोस्टमार्टम रिपोर्ट के साथ ही कई अन्य प्रमाण भी हैं जिनके आधार पर यह वारदात हकीकत में हत्या की कहानी स्वयं बयां कर रही है।
वास्तव में हत्यारों ने हत्या को आत्महत्या ठहराने का प्रयास किया है। अमूमन सभी अपराधी इस तरह के अपराधों को अंजाम देने के बाद ऐसे प्रयास करते हैं जिससे वे पकड़ में न आयें।
मृत छात्र का शव हॉस्टल में बेड पर औंधे मुंह पड़ा मिला था। उसके गले में नायलॉन की रस्सी बंधी थी जिसका दूसरा सिरा बैड के सिराहने से बंधा था।
पोस्टमार्टम रिपोर्ट में छात्र के शरीर पर कई जगह चोट के निशान पाये जाने का उल्लेख है जिससे पता चलता है कि उसने अपने बचाव में मौत से पूर्व संघर्ष किया है।
फांसी से मरने का कोई भी प्रमाण पोस्टमार्टम के दौरान नहीं मिला। छात्र की गर्दन की हड्डी ठीक पायी गयी है।
आत्महत्या का प्रमाण नहीं मिला है।
फिर हत्या किसने और क्यों की?
पोस्टमार्टम रिपोर्ट के बाद पुलिस के सामने दो बड़े सवाल हैं। पहला हत्या किसने की? दूसरा, हत्या की क्या वजह हो सकती है?पुलिस अपने हिसाब से तफ्तीश आगे बढ़ायेगी। लेकिन यदि छात्र के घरवालों की बात मानी जाये जोकि ठीक भी है तो हत्यारे कॉलेज के छात्र ही हैं। जिनका पता लगाना पुलिस के लिए कठिन भी नहीं है।
छात्र के पिता प्रमोद तोमर और परिजनों ने एसपी शिव शिंपी चिनप्पा को बताया है कि एडमिशन के बाद से ही छात्र फोन पर उन्हें कॉलेज में अनुशासन बहुत ही खराब होने की शिकायत करता था। वह कहता था कि कई सीनियर छात्र उसे बहुत परेशान करते हैं। उसने रैगिंग की बात की थी। उसने यह भी बताया था शिकायत पर चीफ प्रॉक्टर, वार्डन तथा प्रिंसिपल उल्टे उसे ही डांटते थे और कहते थे, सीनियर का कहा तो मानना ही पड़ेगा।
प्रमोद तोमर ने यह भी बताया कि घटना से पूर्व उसने अपनी माता को यहां से ले जाने को कहा था। इसी से स्पष्ट हो जाता है कि छात्र अपने सीनियर छात्रों के व्यवहार से कितना दुखी था? उसकी समस्या को समझकर उसके पिता को छात्र से मिलकर निदान करना चाहिए था अथवा उसे उसी समय कॉलेज से निकाल लेना चाहिए था।
चीफ प्रॉक्टर, वार्डन तथा प्रिंसिपल के खिलाफ हत्या का मुकदमा होना चाहिए :
इस कालेज के अनुशासन की आलोचना होती रही है। यहां कई दबंग छात्रों द्वारा भोले-भाले तथा दूरस्थ स्थानों से आये छात्रों के शोषण की खबरें मिलती रही हैं। लेकिन कॉलेज प्रशासन इस ओर कोई ध्यान नहीं देता।मृतक छात्र के परिजनों के बयानों से स्पष्ट हो गया है कि परेशान छात्र की गुहार चीफ प्रॉक्टर से लेकर प्रिंसिपल से की गयी लेकिन उन्होंने पीड़ित छात्र की तकलीफ को जानबूझकर नजरअंदाज किया। इन जुम्मेवार अधिकारियों ने सबकुछ जानते हुए एक बेकसूर होनहार छात्र को मौत के मुंह में धकेलने वालों को रोकने का प्रयास नहीं किया।
ऐसे में पुलिस को तीनों के खिलाफ हत्या के प्रयास का मुकदमा कायम करना चाहिए।
ये लोग उन छात्रों को भी निश्चित रुप से जानते होंगे, जिन्होंने छात्र की हत्या की है। जिन छात्रों की शिकायत मृत छात्र ने इनसे की थी, उनके नाम पुलिस को चीफ प्रॉक्टर, वार्डन और प्रिंसिपल से पूछना चाहिए।
इस तरह के उद्दंड छात्रों की शिकायतें दूसरे छात्रों ने भी की होंगी। यह हो ही नहीं सकता कि इन तीनों को उनका पता न हो।
पुलिस को पोस्टमार्टम रिपोर्ट और मृतक के पिता के बयान के फौरन बाद ही चीफ प्रॉक्टर, वार्डन और प्रिंसिपल को हिरासत में लेकर गहन पूछताछ शुरु कर देनी चाहिए थी। अब भी उनसे सख्ती से पूछताछ करनी चाहिए।
मामला खुल जायेगा।
-टाइम्स न्यूज़ गजरौला.
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