अबतक आयोजित सभी कार्यक्रमों में उनके साथ काफी भीड़ जमा होती रही है। बसपा छोड़कर आये राहुल चौहान, रालोद छोड़ भाजपा में शामिल हुए पूर्व विधायक डा. हरि सिंह ढिल्लो और युवा भाजपा नेता युद्धवीर सिंह सहित कई नेता हैं जो भाजपा उम्मीदवारी के दावेदार हैं।
हाइकमान समझ रही है संसदीय चुनाव की तरह इस बार मोदी लहर नहीं तथा नोट बंदी के असर का भी सही आकलन नहीं हो पा रहा, अतः मजबूत उम्मीदवारों को ही मैदान में लाया जायेगा।
देखा जाये तो युद्धवीर सिंह इन सभी नेताओं में ऐसे व्यक्ति हैं जो राजनैतिक शुरुआत से ही इस दल में हैं। उन्हें पिछली बार उम्मीदवार बनाया गया था लेकिन वे बुरी तरह पराजित हुए। भले ही वे कर्मठ कार्यकर्ता हैं लेकिन आज भी उन्हें क्षेत्र में जनसमर्थन हासिल नहीं।
डा. हरि सिंह ढिल्लो रालोद में टिकाऊ नेता रहे। एक बार विधान परिषद के सदस्य भी बने लेकिन वे कई चुनाव हारे हैं। रालोद से भाजपा में आने से उन्हें उम्मीदवारी की उम्मीद है। वे और उनके समर्थक कोशिश कर रहे हैं।
राहुल चौहान बसपा द्वारा उम्मीदवार न बनाये जाने से भाजपा में आये हैं। वे पिछले चुनाव में सपा लहर के दौरान मामूली मतों से पिछड़ गये थे। उनका कहना है कि भाजपा टिकट दे तो वे सबसे मजबूत उम्मीदवार होंगे और भाजपा को यह सीट दिलाने में सफल रहेंगे।
उधर गजरौला निवासी देवेन्द्र नागपाल जिले के कद्दावर नेता हैं। वे पहला चुनाव जिला पंचायत का जीते। उसके बाद विधायक और सांसद चुनाव भी जीते। इसी से उनकी मजबूती का पता चलता है। उनके पास आज भी एक ठोस युवा कार्यकर्ताओं की टीम है। हार-जीत तो चुनावी समीकरण के बाद हुआ मतदान ही बतायेगा लेकिन भाजपा में इस समय नौगांवा से उम्मीदवारी में वे सबसे मजबूत हैं। हालांकि डा. हरि सिंह ढिल्लो, युद्धवीर सिंह तथा चौहान तीनों ही स्वच्छ छवि के प्रभावी नेता हैं बल्कि डा. ढिल्लो की लोकप्रियता व्यक्तिगत रुप में बहुत अधिक है। देखते हैं भाजपा किसे उम्मीदवार घोषित करती है?
-टाइम्स न्यूज़ नौगांवा सादात.
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