सपा से अखिलेश की छुट्टी के बाद हर तरफ मुलायम और अखिलेश की चर्चा हो रही है। नोटबंदी का मुद्दा निष्कासन से कुछ समय पहले तक सुर्खियां बटोर रहा था, मगर जब सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव ने अखिलेश यादव को पार्टी से 6 साल के लिए निकाल दिया तो सभी नजरें यूपी की सियासत पर आकर टिक गयीं।
एक पिता ने अपने पुत्र को उस पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाया जिसमें इस साल सबसे अधिक टूट-फूट होती रही है। परिवार का झगड़ा और पार्टी का झगड़ा सियासत की जमीन पर नये साल के खत्म होते-होते नयी तस्वीर दिखा गया।
मुलायम सिंह यादव का चेहरा बेनूर हो गया है। वहीं अखिलेश यादव भी खुद को मायूस महसूस कर रहे हैं। पिता-पुत्र और पार्टी, चाचा-भतीजा और पिता, और टूटती समाजवादी पार्टी, आज ऐसे विषय बन गये हैं जिन्होंने उत्तर प्रदेश में अलग तरह के हालात पैदा कर दिये हैं। यूपी की सियासत का अजीब रंग है।
कोई कह रहा है कि सियासत में कोई किसी का सगा नहीं। किसी ने कहा कि सियासत ने अपनों को ठगा।
कयास भी कई तरह के लगाये जा रहे हैं कि यूपी का मुख्यमंत्री कौन होगा?
यूपी में क्या राष्ट्रपति शासन लागू होगा?
कुछ भी कह लें, अखिलेश यादव और मुलायम सिंह यादव के रिश्तों की कड़वाहट साफ हो गयी है। पार्टी में कलह इतनी हावी रही कि सपा बिखराव की ओर चल पड़ी।
-हरमिंदर सिंह.
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