पालिका के घोटालेबाजों को बचाने वाली जांच चालू

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जब नगर आयुक्त की जांच में बड़े-बड़े घोटाले उजागर हो चुके तो एडीएम की जांच का क्या औचित्य?


पालिका परिषद में लाखों के घोटालों की उच्च स्तरीय जांच लंबी खिंचती जा रही है। जांच की धीमी प्रक्रिया और उसके तरीके से लगने लगा है कि इससे अपराधियों को कानूनी फंदे में फंसना आसान नहीं है।

शासन ने जांच के लिए मुरादाबाद के नगर आयुक्त संजय कुमार सिंह को आदेश दिया था। उन्होंने विकास कार्यों में भारी अनियमिततायें और घपलेबाजी पायी। उच्च क्वालिटी के सामानों के बिलों के सहारे भुगतान किया और सस्ते तथा घटिया सामान मौके पर पाये। असली कीमत से कई गुना महंगी कीमत के बिल बनाकर रकम निकाली गयी। नगर आयुक्त की जांच में यह स्पष्ट भी हो गया।

जांच अधिकारी का कहना है कि उन्होंने अपनी रिपोर्ट शासन को प्रेषित कर दी है। पता चला है कि जांच रिपोर्ट लखनऊ पहुंचने पर नगर विकास मंत्रालय के सचिव ने पालिकाध्यक्ष अफसर अली वारसी से भी जबाव तलब किया था जिसपर उन्होंने संबंधित दस्तावेज प्रस्तुत कर अपनी सफाई नगर विकास सचिव के सामने पेश की।

जांच अधिकारी द्वारा पाये घोटालों और घपलेबाजी की रिपोर्ट शासन तक जाने के बाद पालिका कार्यालय के इ.ओ. तथा संबंधित कर्मचारियों से भी जबाव तलब किया गया है। बताया जा रहा है कि जल्दी ही सभी को आरोप पत्र भेजा जायेगा।

जांच प्रणाली के मुताबिक इसके बाद एडीएम अमरोहा भी जांच और पूछताछ करेंगे। यहीं से इस घपलेबाजी के दोषियों के बचाव या जांच लंबा खिंचने की संभावना को बल मिलता है। बड़ा सवाल यही है कि जब नगर आयुक्त की जांच में बड़े-बड़े घोटाले उजागर हो चुके तो एडीएम की जांच का क्या औचित्य है?

शिकायतकर्ता ताकतवर लोग थे :
शिकायतकर्ता मोहल्ला बकाबाद निवासी शब्बीर अहमद के अलावा शासन से घोटालों की शिकायत में कैबिनेट मंत्री महबूब अली, पूर्व विधायक चौ. रिफाकत हुसैन तथा नामित सभासद सैय्यद आसिल अली जैसे मजबूत लोग शामिल रहे हैं। पहले डीएम से शिकायत की गयी थी। वे इस तरह के घोटालों को गंभीरता से नहीं लेते। ऐसे में इसपर भी खामोश रहे। तब शिकायत नगर विकास मंत्रालय को भेजी गयी।

जांच सचिव की दबाकर बैठक गये थे :
शिकायतों की फाइल लखनऊ में नगर विकास सचिव दबाकर बैठ गये थे। जांच रिपोर्ट यहां से भेजी जा चुकी थी। यह जानकारी शिकायतकर्ताओं द्वारा देते समय बताया गया कि रिपोर्ट पर कुछ भी कार्रवाई नहीं की गयी। काफी समय बीतने पर जब कुछ नहीं हआ तो शब्बीर अहमद ने आरटीआई के जरिये इस संबंध में सूचना मांगी। तब जानकारी मिली।

अब आरोप पत्रों की बात सामने आयी है। उसके बाद एडीएम पूछताछ करेंगे। जबकि जांचकर्ता जिले से बाहर के अधिकारी से इसीलिए जांच की मांग कर रहे थे कि जिला स्तर की जांच पर उन्हें भरोसा नहीं था। पहले डीएम ने ही जब सुनवाई नहीं की तो अब एडीएम से भी क्या आशा की जा सकती है?

नगर निकायों में भ्रष्टाचार चरम पर है। शिकायतें और जांच होती रहती हैं लेकिन देखने में आया है कि घोटालेबाज और घपलेबाजों के खिलाफ कुछ नहीं होता। जांच ऊपर से चलकर नीचे वहीं आ जाती है जहां घोटाला करने वाले बैठे हैं।

-टाइम्स न्यूज़ बछरायूं.


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