सपा के दंगल ने जहां घोषित दोनों उम्मीदवारों को ऊहापोह की स्थिति में डाल दिया, वहीं पहले से घोषित बसपा उम्मीदवार भी सपा के घटनाक्रम पर कान लगाये हैं। जबकि अभी भाजपा और कांग्रेस ने अपने पत्ते नहीं खोले। भाजपा, सपा में मची उठापटक से राहत महसूस कर रही है।
मुलायम सिंह यादव ने यहां से उर्वशी चौधरी को उम्मीदवार बनाया था लेकिन पिता-पुत्र के मतभेद के कारण अखिलेश ने अपनी ओर से जगराम सिंह को बतौर सपा उम्मीदवार मैदान में उतार दिया।
ये दोनों पिछले विधानसभा चुनाव में भी यहां से मैदान में थे लेकिन दोनों ही बुरी तरह पराजित हुए थे। उर्वशी का विधानसभा का पहला चुनाव था तथा वे बिना तैयारी के अचानक मैदान में एक नये दल से कूद पड़ी थीं ऐसे में उनकी हार पर आश्चर्य नहीं हुआ लेकिन जगराम सिंह पूर्व मंत्री की हैसियत से रालोद और कांग्रेस के संयुक्त उम्मीदवार बनकर मैदान में थे। रालोद के गढ़ में उनका तीसरे स्थान पर आना उर्वशी की हार से बड़ी हार था।
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सपा के मौजूदा विधायक एम. चन्द्रा यहां अपना जनाधार समाप्त कर चुके। उन्हें टिकट ने देकर दोनों धड़ों ने समझदारी का काम किया है लेकिन उर्वशी या जगराम भी कोई कमाल नहीं दिखाने वाले। मंडी धनौरा सीट पर सपा के पास आलोक भारती एक ऐसा चेहरा है जो सर्वमान्य होने के साथ सभी पर बहुत भारी है। सपा यदि आलोक भारती को मैदान में लाये तो यह सीट बेरोक उसके खाते में चली जायेगी।
सपा का विवाद खत्म होगा या नहीं, यह कहना आसान नहीं लेकिन आलोक भारती यहां सबसे दमदार उम्मीदवार सिद्ध होंगे, यह कहा जा सकता है।
-टाइम्स न्यूज़ मंडी धनौरा.
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