समाजवादी पार्टी में भी फिलहाल स्थिति बेहतर नहीं कही जा सकती क्योंकि यहां पहले ही मुलायम सिंह यादव और अखिलेश यादव की आपसी लड़ाई के कारण दो-दो प्रत्याशी उतारे गये थे। नौगांवा सादात विधानसभा सीट पर सबसे अधिक संग्राम देखने को मिला था जब मौजूदा विधायक अशफाक खां का नाम मुलायम सिंह यादव द्वारा जारी सूची में नहीं था। उनके स्थान पर हाजी इकरार अंसारी का नाम शामिल किया गया था। अशफाक के समर्थकों ने हंगामा कर अपना विरोध पेश किया था। दूसरी सूची जो अखिलेश यादव ने जारी की उसमें अशफाक खां का नाम देखकर समर्थकों के चेहरे खिल उठे थे।
साइकिल चुनाव चिन्ह मिलने के बाद अखिलेश यादव ने नौगांवा से अपने करीबी जावेद आब्दी को टिकट दे दिया। अशफाक खां ने इसी दौरान रालोद का दामन थाम लिया। शायद यही सोचा होगा कि सपा में उठापटक जारी रहेगी।
अशफाक अपने समर्थकों के साथ सपा छोड़ चुके हैं। उनके साथ अमरोहा ब्लॉक प्रमुख मीनू चिकारा और उनके पति मनवीर चिकारा एवं अन्य समर्थक भी रालोद में शामिल हो गये हैं।
इससे यह कहने में कोई गुरेज नहीं कि नौगांवा में जितनी कमजोर भाजपा हो रही है, उसी तरह सपा भी कमजोरी की राह पकड़ रही है।
सपा में गुटबाजी पनपने के कारण जिले की अन्य सीटों पर भी खतरे के बादल मंडरा रहे हैं।
उधर अमरोहा सीट पर महबूब अली और तुर्क समाज की तनातनी कम नहीं हुई है। तुर्क समाज के लोग पाशा मर्डर केस के कारण महबूब अली से नाराज हैं। महबूब अली की सभाओं का विरोध भी हुआ है।
धनौरा सीट पर जगराम सिंह को सपा ने उम्मीदवार बनाया है। वे अखिलेश यादव की सूची में शुरु से ही हैं। मुलायम सिंह यादव की सूची में उर्वशी को शामिल किया गया था।
जिले में सपा ने पहले चार विधानसभा सीट पर कब्जा किया था। लगता है इस बार ऐसा संभव नहीं।
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-टाइम्स न्यूज़ अमरोहा.
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