सपा का शीर्ष नेतृत्व में उठा बवाल भले ही ठंडा पड़ गया हो लेकिन यहां की दो विधानसभा सीटों (नौगावां सादात विधानसभा सीट और धनौरा विधानसभा सीट) पर सपा उम्मीदवारी का फैसला होना अभी बाकी है। इससे उम्मीदवारी की उम्मीद लगाये बैठे नेताओं की सांसें तेज चल रही हैं।
हालत यह रही कि वे बीते साल और नये साल की संयुक्त रात ठीक से सो भी नहीं सके।
लखनऊ से मिली जानकारी के मुताबिक पहले जारी दोनों सूचियों की जगह अब तीसरी सूची जारी की जायेगी।
- नौगावां सादात विधानसभा सीट से अशफाक खां समाजवादी पार्टी के मौजूदा विधायक हैं. मुलायम सिंह यादव द्वारा जारी की गयी पहली सूची में उनका नाम गायब था.
- मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने अपनी ओर से जारी सूची में अशफ़ाक खां का नाम शामिल किया था. जबकि मुलायम की सूची में उनकी जगह अमरोहा के पूर्व पालिकाध्यक्ष हाजी इकरार अंसारी का नाम था.
- पहली सूची में नाम कटने के कारण अशफ़ाक के समर्थकों ने सड़कों पर उतरकर अपना विरोध प्रकट भी किया था.
यह भी बताया जा रहा है कि पहली सूचियों में खास विवाद नहीं था। पहले पूर्व के तीन मंत्रियों के नामों को लेकर ही अधिक विवाद था जिससे पिता-पुत्र या शिवपाल और रामगोपाल में विवाद बढ़ा।
इस बार जो तीसरी सूची बन रही है उसमें मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की ही मर्जी को महत्व दिया जाना है।
यदि ऐसा हुआ तो नौगांवा से अशफाक खां और धनौरा से जगराम सिंह को उम्मीदवार बनाया जायेगा।
- उर्वशी को समाजवादी पार्टी की पहली सूची में स्थान दिया गया है. वह सूची मुलायम सिंह यादव ने जारी की थी. इसमें मौजूदा विधायक धनौरा, एम. चंद्रा का नाम नहीं था. इससे उनके समर्थक नाराज़ हुए और विधायक के पुत्र कपिल चंद्रा ने सपा का विरोध करने की बात कह दी.
- दूसरी सूची जारी हुई तो उसमें भी चंद्रा का नाम गायब था. जगराम सिंह का नाम आने से उर्वशी समर्थकों में संशय और चंद्रा समर्थकों में मायूसी छा गयी.
अखिलेश यादव इन तीनों सीटों पर शिवपाल यादव और मुलायम सिंह यादव द्वारा जारी नामों से असहमत नहीं थे लेकिन जब तीन मंत्रियों के नामों को काटा गया तो उन्होंने यहां भी नये उम्मीदवार घोषित कर दिये थे। ऐसे में अभी पक्के तौर पर यह भी नहीं कहा जा सकता कि अशफाक अली खां और जगराम सिंह का टिकट बचेगा। जबतक तीसरी सूची जारी नहीं होगी तबतक ये दोनों सीटें खाली ही मानी जायेगी।
उधर मंडी धनौरा विधायक एम. चन्द्रा भी यह तर्क दे सकते हैं कि यदि तीन सीटों पर मौजूदा विधायकों को टिकट दिये जा रहे हैं तो उन्हें भी उम्मीदवार बनाया जाना चाहिए। यदि ऐसा नहीं हुआ तो दलितों, विशेषकर वाल्मीकि समुदाय में यह संदेश जायेगा कि सपा को एक वाल्मीकि बर्दाश्त नहीं हुआ।
अब थोड़ा ही इंतजार है लेकिन हम सभी जानते हैं कि राजनीति में कुछ भी हो सकता है।
-टाइम्स न्यूज़ अमरोहा.
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