जिले की चारों विधानसभा सीटों में हसनपुर विधानसभा सीट विकास के नाम पर सबसे पिछड़ी विधानसभा सीट है। यहां से कैबिनेट मंत्री कमाल अख्तर 2012 में रिकार्ड मतों से विजयी हुए थे। दूसरे नंबर पर रहे बसपा के गंगासरन खड़गवंशी को छोड़कर बाकी सभी तेरह उम्मीदवार जमानत भी नहीं बचा पाये थे।
कमाल अख्तर को भारी बहुमत प्रदान कराने के बाद क्षेत्र के लोगों को लगा था कि कमाल उनके मतों का हिसाब अपने कार्यकाल में समस्याओं से जूझ रहे लोगों की तकलीफें दूर कर ब्याज सहित चुकता कर देंगे।
लोगों को तब और भी खुशी हुई जब उन्हें मंत्रीमंडल में शामिल गया। उनके क्षेत्र में आने पर लोगों ने सिर माथे पर भी लिया। उनका हर जगह जोरदार स्वागत हुआ और खुशी का माहौल भी बना।
कमाल अख्तर ने अपने कार्यकाल में आम जनता से जुड़ी समस्याओं की ओर भले ही ध्यान नहीं दिया जितनी उनसे अपेक्षायें थीं लेकिन हादसों, बीमारियों और अनायास दुघर्टनाओं में मारे गये लोगों के आश्रितों को सरकार से आर्थिक सहायता दिलाने में उन्होंने वास्तव में सराहनीय काम किया। ऐसे में कई गरीब परिवारों के लिए यह एक बड़ा सहारा सिद्ध हुआ। इसमें किसी जाति, धर्म या सम्प्रदाय का भेद उन्होंने नहीं किया।
इसके विपरीत कमाल अख्तर का विधानसभा क्षेत्र कानून व्यवस्था के मामले में सुधार करने के बजाय बद से बदतर होता गया। चोरी, लूट तथा यौन शोषण की घटनाओं पर अंकुश नहीं लग पाया। चोरों के हौंसले इतने बुलंद हैं कि हिटलर के नाम से जाने जाने वाले मंत्री के पिता के घर कमाल के कार्यकाल में चोर अपना कमाल दिखाने में कामयाब रहे।
कमाल अख्तर के गृहनगर उझारी में गौहत्या की घटनायें जारी हैं। कई बार पुलिस ने घरों में अवैध रुप से कटते हुए पशु तथा दुकानों पर खुलेआम प्रतिबंधित पशुओं का मांस बिकते हुए पकड़ा। यह कोई नहीं जानता कि इस तरह के काम किसकी छत्रछाया में हो रहे हैं और पकड़े गये लोगों के खिलाफ क्या कार्रवाई हुई?
हसनपुर विधानसभा क्षेत्र के गांवों में राशन की कालाबाजारी और धांधली की शिकायतें बार-बार की जाती रही हैं। परेशान लोग जिला स्तर तक धरने और प्रदर्शन करते रहे हैं लेकिन कोई भी सुनवाई नहीं हुई।
राशन डीलरों को राजनैतिक शक्तियों का आशीर्वाद प्राप्त है। लोग यह जानते हैं वह शक्तियां किसके पास हैं?
गांवों की सड़कें और रास्ते बद से बदतर हैं। लगता है मंत्री जी ने इस समस्या के समाधान के लिए कुछ सोचा ही नहीं। जहां कहीं सड़कें बनी भी हैं, वे बेहद निम्नस्तरीय सामग्री से बनायी गयी हैं जो बनते ही टूट गयीं तथा वहां से गुजरना खतरे से खाली नहीं।
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चंद बिचौलियों और चाटुकारों के काम कमाल अख्तर लखनऊ में बैठकर कराते रहे हैं। लोकसभा चुनाव में उनकी पत्नि की हार का यह बड़ा कारण था कि वे आम जनता का नेता बनने के बजाय चंद दलालों और चाटुकारों के भरोसे मैदान जीतने की भूल कर बैठे।
यह विधानसभा चुनाव भी यदि चंद राशन डीलरों, थाने और तहसील के दलालों या चाटुकारों के सहारे जीतना चाहते हों, तो वे स्वप्नलोक में विचरण कर रहे हैं। उन्हें जीत के लिए आम आदमी के बीच जाकर पिछले चुनाव की तरह आशीर्वाद लेना होगा।
-टाइम्स न्यूज़ हसनपुर.
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