समाजवादी पार्टी और कांग्रेस पार्टी के गठबंधन में शामिल न होने से अमरोहा जिले में रालोद पर कोई खास फर्क भले ही नहीं पड़ा हो लेकिन इससे समाजवादी पार्टी को घाटा उठाना पड़ा है। इससे चुनावी हानि-लाभ के संकेत भी मिलने शुरु हो गये हैं। सपा को पिछले चुनाव में यहां चारों सीटें मिली थीं।
टिकट वितरण में बदलाव के चलते जिले के आधे अर्थात दो विधायक सपा छोड़ रालोद में चले गये। जिनमें से एक विधायक अशफाक खां और दूसरे विधायक एम. चन्द्रा के बेटे कपिल चन्द्रा को रालोद ने उनकी पुरानी सीटों से उम्मीदवार बना लिया।
कांग्रेस के असंतुष्ट नेता सलीम खां को भी रालोद ने अमरोहा सीट से अपना उम्मीदवार घोषित कर दिया। चौथी सीट हसनपुर पर रालोद ने कोई उम्मीदवार नहीं उतारा।
भाजपा में मची रार में रालोद को किसी के अपने पाले में आने की उम्मीद है। यदि हसनपुर से वह किसी को उम्मीदवार ही बनाता तब भी वह गठबंधन के बजाय अकेला लड़कर लाभ में है। उसने नौगांवा सादात तथा मंडी धनौरा सीटों पर सपा-कांग्रेस गठबंधन की टांगें तोड़ने का काम किया है।
अशफाक खां अपनी सीट पर बहुत मजबूत उम्मीदवार हैं जबकि मंडी धनौरा विधायक के आशीर्वाद से उनके बेटे कपिल चन्द्रा भी सपा के वोटों पर दमदार हमला कर रालोद की ताकत का अहसास कराने की पूरी कोशिश करेंगे।
उधर अमरोहा में सलीम खां पुराने रालोद नेता हैं जो घूम फिरकर फिर से अपने घर लौट आये। सपा का गणित बिगाड़ने से वे भी पीछे नहीं रहेंगे।
राजनीतिक पंडित इस बार जिले की कम से कम एक सीट रालोद को मिलने की संभावना जता रहे हैं। यह भी अनुमान हो रहा है कि इस बार यहां सपा दो से अधिक सीटें नहीं ले पायेगी।
भाजपा और बसपा भी एक-एक सीट ले सकती है।

-टाइम्स न्यूज़ अमरोहा.
Gajraula Times के ताज़ा अपडेट के लिए हमारा फेसबुक पेज लाइक करें या ट्विटर पर फोलो करें. आप हमें गूगल प्लस पर ज्वाइन कर सकते हैं ...