इस अवसर पर नगर में भव्य जुलूस और कीर्तन का आयोजन किया गया। जुलूस में पंज प्यारे, फौजी बैंड, हैरतअंगेज कारनामों का प्रदर्शन और गुरवाणी के कीर्तन से लोगों को भाव-विभोर किया गया।
इस आयोजन को देखने के लिए सड़कों पर सभी वर्गों के लोगों की भीड़ जमा हो गयी। शोभा-यात्रा के रुप में यह जुलूस चौपला स्थित गुरुद्वारा साध संगत से ग्यारह बजे पुर्वान्ह शुरु होकर नगर के प्रमुख मार्गों से गुजरता हुआ वापस गुरुद्वारा साहिब में अपरान्ह तीन बजे संपन्न हुआ।
इससे पूर्व गुरुद्वारे में भोरकाल से ही श्रद्धालुओं का जमावड़ा शुरु हो गया था।
अखंड पाठ का भोग लगभग आठ बजे पड़ते ही कीर्तन और विद्वानों के प्रवचनों का सिलसिला शुरु हो गया था। जिसमें वक्ताओं ने महान गुरु के जीवन दर्शन और देश तथा समाज के लिए दिये बलिदान का स्मरण कराया।
उन्होंने सिलसिलेवार गुरु गोविन्द सिंह के महान बलिदानों, जिनमें उनके पिता गुरु तेगबहादुर जी, माता जी, चारों साहिबजादों, गुरु जी के प्यारे शिष्यों और स्वयं उनके द्वारा किये बलिदान का उल्लेख किया।
रागी जत्थों ने गुरुजी द्वारा रचित अमृतवाणी का कीर्तन कर मौजूद जनमानस को भक्ति रस से सराबोर किया। संगत बार-बार पुकार उठती थी -वाहु वाहु गोविन्द आपे गुरु चेला।
अरदास के बाद गुरु के अटूट लंगर को ग्रहण कर सांध संगत निहाल हो गयी।
इस मौके पर स. धर्म सिंह, स. हरभजन सिंह, स. कुलवंत सिंह, स. भगवान सिंह, स. अमरजीत सिंह, होटवाले ज्ञानी, स. जयशरन सिंह, स. बचन सिंह आदि ने कार्यक्रम को सफल बनाने में योगदान किया।
-टाइम्स न्यूज़ गजरौला.
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