भाजपा के गोरखपुर सांसद योगी आदित्यनाथ के बारे में चर्चा है कि वे पार्टी से नाराज हो गये हैं। खबरें यहां तक आ रही हैं कि वे उत्तर प्रदेश चुनाव में भाजपा के लिए मुश्किल पैदा भी कर सकते हैं। यदि ऐसा होता है तो यूपी चुनाव बीजेपी के लिए खतरे की घंटी है।
पहले वरुण गांधी को मुख्यमंत्री की दौड़ में माना जा रहा था। उसके बाद उनकी चर्चा ही बंद हो गयी। ऐसा कहा गया कि उन्हें किनारे कर दिया गया है। योगी आदित्यनाथ का नाम भी सीएम पद की दौड़ में चल रहा था। मौजूदा हालात पर गौर करें तो योगी को बीजेपी ने करारा झटका दिया है। वे मायूस हो गये लगते हैं।
योगी आदित्यनाथ को बीजेपी की प्रदेश चुनाव समिति से ही बाहर कर दिया गया था। वे कार्यसमिति की बैठक के दूसरे दिन उसमें शामिल हुए नहीं थे। धीरे-धीरे यह चर्चा होने लगी कि योगी नाराज हो गये हैं।
पहले वरुण गांधी को मुख्यमंत्री की दौड़ में माना जा रहा था. उसके बाद उनकी चर्चा ही बंद हो गयी थी.
गोरखपुर शहर सीट से लगातार चार बार विधायक रहे शिवप्रताप शुक्ला की सीट पांचवी बार योगी की नाराजगी के कारण बच न सकी। योगी ने 2002 में बीजेपी के शुक्ला के खिलाफ खड़े हिन्दू महासभा प्रत्याशी राधा मोहन अग्रवाल का समर्थन कर उन्हें जितवाया था। बीजेपी का लगातार पांचवी बार सीट जीतने का सपना चकनाचूर हो गया था। उसके बाद बीजेपी ने अग्रवाल को 2007 और 2012 में अपनी पार्टी से चुनाव लड़वाया, वे जीते।
इस बार भी चर्चा हो रही है कि कहीं योगी फिर से कोई नया दांव खेलकर हिन्दू महासभा से अपना प्रत्याशी उतारकर बीजेपी उम्मीदवार को झटका न दे दें। वैसे भाजपा में योगी को लेकर मंथन की बात सुनने को आ जरुर रही है, लेकिन लगता है योगी अब किनारे कर दिये गये हैं?
-टाइम्स न्यूज.
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