उत्तर प्रदेश के पहले चरण में किस दल को बढ़त मिलेगी यह तो 11 मार्च की मतगणना से ही पता चलेगा लेकिन इतना पता अभी चल गया है कि चुनावी परिणामों के बाद रालोद से दूरी बनाने वाली भाजपा और सपा-कांग्रेस गठबंधन को अपनी भूमिका पर पछताना पड़ेगा। हरितांचल में भाजपा और सपा-कांग्रेस गठबंधन उम्मीद से पीछे तथा रालोद और बसपा उम्मीद से आगे निकलेंगे।
पहले चरण की कुल 73 सीटों पर हुए मतदान में जाट मतदाता रालोद के साथ जुड़कर चला है। इसी के साथ इस समुदाय का मूल उद्देश्य भाजपा की बढ़त रोकना रहा है। जहां रालोद कमजोर रहा है वहां उसने कमल के खिलाफ हाथी का साथी बनना बेहतर समझा है। जाटों ने दिल और दिमाग से काम लिया है।
भाजपा से जाटों की नाराजगी के कई कारण हैं। चौ. चरण सिंह की जयंती पर न तो प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी तथा न ही भाजपा अध्यक्ष अमित शाह सहित किसी भाजपा नेता ने श्रद्धा के दो शब्द बोले और न ही इस तरह का कोई विज्ञापन आदि दिया। उत्तर प्रदेश का जाट चौधरी का सम्मान चाहता है। वह भावावेश में किसी सीमा तक भी जा सकता है। यही नहीं भाजपा ने भारी बहुमत से केन्द्र में आने के बावजूद ढाई वर्षों में इस समुदाय की लगातार उपेक्षा की है। हरियाणा में आरक्षण का वादा पूरा कराने की मांग करने वाले युवक एक साल से जेलों में बंद हैं और 18 युवक शहीद हो चुके। ऐसे में भाजपा को जाटों से सहानुभूति का क्या औचित्य बनता है।
उत्तर प्रदेश का जाट चौधरी चरण सिंह का सम्मान चाहता है. वह भावावेश में किसी सीमा तक भी जा सकता है. यही नहीं भाजपा ने भारी बहुमत से केन्द्र में आने के बावजूद ढाई वर्षों में इस समुदाय की लगातार उपेक्षा की है.
भाजपा को यशपाल मलिक ने लोगों को आपस में लड़ाने वाली पार्टी की संज्ञा देकर जाट सहित सभी से उसके खिलाफ मतदान का आग्रह बार-बार किया। 11 फरवरी के मतदान के बाद मीडिया इस बात पर लगभग एक मत है कि जाट रालोद की ओर तथा मुस्लिम समुदाय का बड़ा भाग हाथी की ओर खिसका है। इसी से काफी अनुमान हो रहा है कि हरितांचल की 73 सीटों पर भाजपा तथा उसका प्रमुख प्रतिद्वंदी गठबंधन (सपा-कांग्रेस) आशाओं से पीछे तथा हाथी और नल आगे निकल रहा है।
-जी.एस. चाहल.
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