नाले के अवशेष गवाह हैं हसनपुर के विकास के

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मौके पर जाकर तो ऐसा लगता है मानो यहां किसी गुजरे जमाने में कोई नाला बनाया गया होगा.


पालिका बोर्ड अपना पांच साल का कार्यकाल पूरा करने जा रहा है। विकास के नाम पर पालिका को विभिन्न माध्यमों से इस अवधि में करोड़ों का बजट भी हासिल हुआ है। जबकि हसनपुर शहर की किसी भी समस्या के समाधान की कहीं झलक तक दिखाई नहीं देती।

घनी आबादी और तंग गलियों के इस नगर की सबसे बड़ी दिक्कत जल निकासी की है। मामूली बरसात में यहां के बाशिंदों का जीवन नारकीय हो जाता है। लगभग पूरी आबादी ऐसे में दुर्गंधपूर्ण प्रदूषित वातावरण में रहने को बाध्य होती है। कई जगह आप कीचड़ और गंदे पानी में सने बगैर निकल नहीं सकते। नाले और नालियों की सफाई समय से न होना तथा शहर का गंदा पानी शहर से बाहर जाने के लिए उपयुक्त व्यवस्था का अभाव इसका मूल कारण है।


एक वर्ष पूर्व गांव करनखाल की ओर लगभग दो किलोमीटर लंबा एक नाला बगद नदी तक, शहर का गंदा और फाल्तू पानी बाहर निकालने के लिए नगर पालिका की ओर से बनाया गया। पालिका की योजना और नीति बेहतर थी। यही एक मार्ग था जहां से उचित ढलान के कारण शहर का पानी बाहर निकल सकता था लेकिन जब नीयत में खोट हो तो अच्छी नीति भी सफल नहीं होती।

नाला बनाया गया, लेकिन बेहद निम्नस्तरीय सामग्री से बना यह नाला थोड़े दिनों बाद हुई मामूली बरसात में ही जगह-जगह से टूट गया। कई जगह मिट्टी और कूड़ा-कबाड़ा भरने से वह बंद भी हो गया। लोगों का कहना है कि फिर से एस्टीमेट तैयार कर नाला बनाया गया। उसका भी वही हाल हुआ। नगर का थोड़ा बहुत पानी पहुंचते ही नाला जगह-जगह से कराहता हुआ धराशायी होता गया।

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हसनपुर के पालिकाध्यक्ष राकेश बंसल उर्फ कालू

नाला बनने से पहले जिन स्थानों पर जलभराव होता था। वहां आज भी वही हालत है बल्कि कई जगहों पर तो हालात उससे भी बदतर हैं। दो ओर से प्रतीक्षा है। एक ओर सूखी बगद नदी हसनपुर से पानी आने के इंतजार में है। तो दूसरी ओर जलभराव से परेशान नगरवासी बरसात में भरने वाले पानी के जाने की बाट जोह रहे हैं। इन दोनों को प्रतीक्षा कबतक करनी पड़ेगी लेकिन पालिकाध्यक्ष राकेश बंसल उर्फ कालू और अधिशासी अधिकारी की हसरत पूरी हो चुकी। वे उस काम में ठेकेदार से दो बार कमीशन ले चुके जिसे एक बार भी वैसा नहीं बनाया जैसा उसे बनना चाहिए था। मौके पर जाकर तो ऐसा लगता है मानो यहां किसी गुजरे जमाने में कोई नाला बनाया गया होगा। नाले के चंद अवशेष उसके साथ जो गुजरी है, खुद गवाही दे रहे हैं।

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-टाइम्स न्यूज़ हसनपुर.


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