जाट आरक्षण आंदोलन से पश्चिमी यूपी में भाजपा को हो सकता है नुकसान

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अखिल भारतीय जाट आरक्षण संघर्ष समिति ने भाजपा विरोधी मुहिम तेज कर दी है.


अखिल भारतीय जाट आरक्षण संघर्ष समिति ने भाजपा विरोधी मुहिम तेज कर दी है। यूपी में विधानसभा चुनावों के परिणामों पर इसका असर देखने को मिल सकता है। खासकर पश्चिमी उत्तर प्रदेश में होने वाले 11 फरवरी के मतदान पर इसका असर देखा जा सकता है। जाट आरक्षण संघर्ष समिति लगातार यहां के जिलों में जाकर बैठकों का आयोजन कर रही है। समिति के कार्यकर्ता सभाओं में कह रहे हैं कि हरियाणा में जाट समुदाय के साथ जो हुआ वह यूपी में न हो, इसलिए वे भाजपा को इस बार अपना मत न दें।

मुजफ्फरनगर के खरड़ गांव में जनवरी महीने में एक बड़ी रैली का आयोजन किया गया था। उसमें कई राज्यों से जाट भारी संख्या में पहुंचे थे। उसमें जाटों से कहा गया कि वे एकजुट होकर भाजपा का विरोध करें। जाट आरक्षण संघर्ष समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष यशपाल मलिक ने उसके बाद कई सभायें पश्चिमी यूपी में की हैं।

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गुरुवार की बैठक में यशपाल मलिक ने कहा कि हरियाणा में भाजपा ने जाटों के साथ वादाखिलाफी की है। उन्हें आरक्षण नहीं दिया गया। उन्होंने कहा कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश की 125 विधानसभा क्षेत्रों में भाजपा उम्मीदवारों के खिलाफ प्रचार कर अपना विरोध दर्ज करेंगे। बैठक के दौरान जाट संदेश पत्र भी जारी किया गया। यशपाल मलिक ने यह भी कहा कि हरियाणा की गोली का बदला जाट समाज चुनाव में बटन दबाकर लेगा।

बैठक में कहा गया कि जाट आरक्षण समिति की टीमें घर-घर जाकर लोगों को भाजपा की जाट विरोधी नीतियां बतायेंगी। भाजपा जिस उम्मीदवार को भी मैदान में लायेगी, जाट उसे वोट नहीं देंगे।

हरियाणा में आरक्षण और जेलों में बंद जाट युवकों को लेकर आंदोलन को छह दिन हो गये हैं। जाट अपना आंदोलन शांतिपूर्ण ढंग से चला रहे हैं। सरकार ने भी सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम कर रखे हैं।


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