भले ही चुनाव प्रचार में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अपनी सरकार की उपलब्धियों का ढोल पीट रहे हों लेकिन उनकी सरकार के ढाई वर्ष बीतने के बाद इस क्षेत्र में केन्द्र की अधिकांश योजनायें शून्य हैं बल्कि उनकी परवर्ती केन्द्र सरकार द्वारा जारी काम भी बंद करा दिये गये।
यहां से गुजरने वाली तमाम पेसेंजर ट्रेंने बंद करा दी गयी हैं। इससे गरीब तथा दैनिक स्थानीय यात्री सबसे अधिक परेशान हैं। लोग ट्रेनें तथा डिब्बे बढ़ाने की मांग करते रहे और केन्द्र सरकार ने उल्टे ट्रेनें ही बंद कर दीं।
सड़कें बनाने के ढोल कई साल से केन्द्र सरकार के मंत्री नितिन गडकरी पीटते नहीं थक रहे। उनके कार्यकाल में यहां पूरे जनपद में केन्द्र सरकार की ओर से पूरी तरह बंद है जबकि उनसे पूर्व ही केन्द्र सरकार ने अपने कार्यकाल में हर गांव तक सड़क बिछवायी और चार लेन राजमार्ग बनाया। कहीं-कहीं वह बनने से रह गया था तो सरकार जाने के बाद उसका निर्माण भी वहीं रुक गया। प्रमाण के लिए चौपला से चंद किलोमीटर का रुका निर्माण एक इंच भी आगे नहीं बढ़ सका। दावा किया जा रहा है कि मोदी सरकार यूपीए के मुकाबले कई गुना सड़कें रोज बना रही है। जमीन पर तो कहीं बनी नहीं। गडकरी के दफ्तर के कागजों में कहीं बन रही हों तो पता नहीं।
उमा भारती ने ब्रजघाट पर पूजा की थी. उन्होंने यहां गंगा को स्वच्छ करने की बात भी की थी. लेकिन हुआ कुछ नहीं. ढाई साल से गंगा की एक बूंद भी साफ़ नहीं हो सकी.
केन्द्र में सरकार बनने से तीन साल पूर्व उमा भारती ब्रजघाट आकर सौ दिन में गंगा स्वच्छ करने का दावा और वायदा कर गयी थीं। वे ढाई वर्षों से केन्द्र में इसी विभाग की सर्वेसर्वा हैं लेकिन गंगा का एक बूंद भी पानी साफ नहीं करा सकीं। यहां ककड़ी, खरबूजा-तरबूज की खेती करने वाले हजारों गरीबों का काम बंद जरुर कराया है। यह तो नमूनाभर है। इसके अलावा कोई भी केन्द्रीय योजना जिससे किसी वर्ग को भी लाभ मिला हो, इस क्षेत्र में दिखाई नहीं देता। पीएम राज्य सरकार पर दोष मंढते हैं -क्या ट्रेनें भी राज्य सरकार ने बंद की हैं? क्या अधूरा हाइवे भी राज्य सरकार बनायेगी? क्या गंगा सफाई की योजना भी केन्द्र की नहीं हैं? क्या नोटबंदी से ठप कारोबार के लिए केन्द्र जिम्मेदार नहीं है?
-टाइम्स न्यूज़ गजरौला.
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