जिले की चार में से तीन सीटें भाजपा ने सपा से छीनीं, वहीं महबूब अली ने लगातार चौथी बार अमरोहा सीट पर कब्जा बरकरार रखते हुए यह संदेश भी दिया कि यहां महबूब लहर से बड़ी कोई लहर नहीं। सूबे या केन्द्र में किसी की भी लहर हो लेकिन अमरोहा में हर बार महबूब लहर चली है। यही कारण है कि महबूब अली ने भारी विरोध में भी अपनी सीट को कब्जे में रखा। जबकि यहां की शेष तीनों सीटों पर सपा के दिग्गज बुरी तरह धराशायी हुए और उनसे भाजपा ने सीटें छीन लीं।
गौरतलब है 2014 के लोकसभा चुनाव में भी मोदी लहर के चलते जिले की सभी सीटों पर सपा उम्मीदवार हारे थे जबकि महबूब अली ने अपनी सीट से उसे बढ़त दिलायी थी। यही नहीं अपने और परायों के भारी विरोध में भी वे अपनी सीट बचाने में सफल रहे। उनका बेटा भी गत वर्ष रिकार्ड मतों से विधान परिषद का चुनाव जीता। सन 2002 से वे लगातार सभी चुनाव जीतते रहे हैं। भले ही पूरे सूबे में इस बार मोदी लहर हावी रही लेकिन अमरोहा में इस बार भी महबूब लहर हावी रही। अमरोहा की जनता अपने महबूब के साथ है।
महबूब अली का सियासी सफ़र :
अमरोहा विधानसभा सीट
(2017) - 74,713 वोट मिले (सपा)
बसपा के नौशाद अली को 15042 वोट से हराया.
(2017) - 74,713 वोट मिले (सपा)
बसपा के नौशाद अली को 15042 वोट से हराया.
(2012) - 60,807 वोट मिले (सपा)
बीजेपी के राम सिंह को 21805 वोट से हराया.
बीजेपी के राम सिंह को 21805 वोट से हराया.
(2007) - 42,115 वोट मिले (सपा)
बीजेपी के मंगल सैनी को 638 वोट से हराया.
बीजेपी के मंगल सैनी को 638 वोट से हराया.
(2002) - 59,314 वोट मिले (राष्ट्रीय परिवर्तन दल)
रालोद के हरि सिंह ढिल्लों को 9272 वोट से हराया.
रालोद के हरि सिंह ढिल्लों को 9272 वोट से हराया.
(1996) - 66,618 वोट मिले (सपा)
बीजेपी के मंगल सैनी से 908 वोट से हारे.
बीजेपी के मंगल सैनी से 908 वोट से हारे.
कांठ विधानसभा सीट
(1993) - 31,498 वोट मिले (जनता पार्टी)
बीजेपी के ठाकुर पाल सिंह को 1476 वोट से हराया.
(1993) - 31,498 वोट मिले (जनता पार्टी)
बीजेपी के ठाकुर पाल सिंह को 1476 वोट से हराया.
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