गंगा तटवर्ती गांव तिगरी में सभी घरों में शौचालय बन गये हैं लेकिन फिर भी इस गांव में खुले में शौच करने की परंपरा जारी है। बहुत से लोग आज भी गंगा तट पर गंदगी फैलाने से बाज नहीं आ रहे। ग्राम प्रधान तथा उनके पिता पूर्व प्रधान खुले में शौच को रोकने का काफी प्रयास कर रहे हैं लेकिन वे सफल नहीं हो पा रहे। ऐसे में नमामि गंगा योजना के तहत गंगा तटवर्ती गांवों को खुले में शौच मुक्त कराने की योजना को झटका लगा है।
ग्राम प्रधान नारायण सिंह के पिता पूर्व प्रधान रामरक्षपाल यादव ने बताया कि गांव में आवश्यकतानुसार सभी घरों में शौचालय बन गये हैं। अधिकांश लोग उनका उपयोग भी कर रहे हैं लेकिन कुछ लोग शौचालय उपलब्ध होने के बावजूद खुले में शौच करने की परंपरा नहीं तोड़ रहे।
यादव का यह भी कहना है कि कई घरों में सरकार द्वारा बनवाये शौचालयों में घरेलू सामान रखकर स्टोर का काम लिया जा रहा है। कई पुराने लोग कहते हैं कि वे घरों में बैठकर शौच नहीं करेंगे, वे जंगल में आराम से सुकून के साथ शौच कर बहती गंगा में स्वच्छ होकर लौटने में ही शांति और स्वच्छता का अनुभव करते हैं।
भोरकाल में उठते ही अपने खेतों की ओर रुख करने वाले खेतों में ही काम निपटाना बेहतर समझते हैं। उनके खेत भी गंगा के निकट ही हैं। वे समय और सहूलियत की वजह से इसे बेहतर समझते हैं।
गंगा तट पर सुलभ शौचालयों की जरुरत है
गंगा तट पर व्याप्त गंदगी केवल घरों में शौचालय बनवाने से समाप्त नहीं होने वाली। यहां प्रतिदिन भारी संख्या में शवदाह किये जाते हैं। शवों के साथ भारी संख्या में लोग आते हैं। इस प्रक्रिया में चार-पांच घंटों का न्यूनतम समय लगता है। इनमें से बहुत से लोग शमशान के आसपास गंगातट पर ही शौच करने को बाध्य होते हैं। शवदाह तथा लोगों के मलमूत्र गंगा प्रदूषण में अहम भूमिका निभाते हैं। यहां शौचालय सबसे जरुरी है। ऐसा किया गया तो निश्चित तौर से गंदगी कम होगी।
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राम रक्षपाल यादव, पूर्व ग्राम प्रधान तिगरी |
ग्राम प्रधान नारायण सिंह चुनाव से पूर्व तत्कालीन डीएम वेदप्रकाश से इसके लिए मांग कर चुके थे लेकिन वे अनापत्ति प्रमाण पत्र की समस्या का बहाना कर टाल गये। नियमानुसार वन विभाग से स्वीकृति जरुरी है। यह हस्तिनापुर वन्य क्षेत्र में पड़ता है। पूर्व प्रधान रामरक्षपाल यादव का कहना है कि वे मौजूदा डीएम शुभ्रा सक्सेना के सामने यह समस्या रखेंगे। हो सकता है वे कोई रास्ता निकालें। यदि ऐसा हुआ तो वे ग्राम समाज को प्राप्त धन से शौचालयों का निर्माण करवायेंगे।
दरअसल प्रधान और पूर्व प्रधान चाहते हैं कि गंगा प्रदूषण मुक्त हो लेकिन शासन, प्रशासन तथा वन विभाग इस काम में सबसे बड़ी रुकावट है।
-टाइम्स न्यूज़ गजरौला.
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