त्रिशंकु विधानसभा अस्तित्व में आयी तो सत्ता की चाबी मायावती के हाथ

अनुमानित परिणाम ऐसे हैं कि तीनों शक्तियां ऐसी हैं जो आपस में मिलना मुश्किल है.

भले ही एग्जिट पोल उत्तर प्रदेश के चुनावी नतीजों का अनुमान अलग-अलग बता रहे हैं लेकिन 11 मार्च को इवीएम खुलने से पहले कुछ भी नहीं कहा जा सकता। वैसे सभी एग्जिट पोल का आशय यही लगता है कि सूबे में त्रिशंकु विधानसभा बनने जा रही है। यह माना जा सकता है कि भाजपा सबसे बड़ी पार्टी बनकर आ रही है। अधिकांश अनुमान सपा-कांग्रेस गठबंधन के साथ उसकी जबर्दस्त टक्कर मान रहे हैं।

त्रिशंकु विधानसभा अस्तित्व में आयी तो सत्ता की चाबी मायावती के हाथ
लेकिन मायावती ने साफ किया है कि वे समाजवादी पार्टी के साथ नहीं जायेंगी.
जिस तरह के परिणामों का अनुमान सामने आ रहा है उससे बिना बसपा के न तो भाजपा सत्ता तक पहुंच रही है और न ही सपा-कांग्रेस गठबंधन। उधर 276 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारने वाली रालोद को अनुमानित आंकड़े पांच-छह सीटें भी नहीं दे रहे।

अनुमानित परिणाम ऐसे हैं कि तीनों शक्तियां ऐसी हैं जो आपस में मिलना मुश्किल है। लेकिन एक वजह साफ दिख रही है। यदि बसपा 80-90 सीटों तक भी नहीं पहुंची, जैसा अनुमान लगाया जा रहा है, तो माना जायेगा कि उसका दलित-मुस्लिम फार्मूला विफल रहा है। ऐसे में बसपा भाजपा के साथ सत्ता में साझेदारी कर सकती है लेकिन मायावती कभी नंबर दो की हैसियत से सत्ता में नहीं रहीं। इसलिए यह फार्मूला तभी फिट बैठ सकता है जब भाजपा कांग्रेस को हर हाल में सत्ता से दूर रखना चाहेगी। उधर भाजपा को सत्ता से दूर रखने के लिए सपा-कांग्रेस बसपा से हाथ मिलाने को आतुर हैं लेकिन यहां भी मुख्यमंत्री मायावती ही बनना चाहेंगी। ऐसे में तीसरे नंबर पर आने के बावजूद बहनजी के मुख्यमंत्री बनने के आसार हैं। यदि बसपा पूर्ण बहुमत में आयी तो अलग बात है।


-टाइम्स न्यूज़ लखनऊ.


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