यूपी चुनाव के परिणाम अभी आने वाले हैं। असली कहानी तो अब शुरु होगी। हर पार्टी अपनी-अपनी जीत का दावा कर रही है यानि हर कोई अभी जीत रहा है। असलियत का जायका कुछ के लिए मीठा होगा तो किसी के लिए कड़वा भी होगा, यह तय है। नेताओं के हमलावर बोल बंद हो गये हैं। वे तो सिर्फ चुनाव के लिए रखे जाते हैं। अब वे मन की बात को बाहर लाने की कोशिश में नहीं जुटे हैं। वे या तो उल्लास मनाने की सोच रहे हैं अगर जीते। या फिर किस तरह बचाव किया जायेगा, अगर हारे।
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नरेन्द्र मोदी, अखिलेश यादव और मायावती की पार्टी अपनी-अपनी जीत का दावा कर रही है. गद्दी किसे मिलेगी यह जनता तय कर चुकी है. |
कयासों का दौर जारी है। कुछ समय बाद यह साफ हो जायेगा कि कौन बनायेगा सरकार और कौन होगा मायूस। अखिलेश यादव को हमने खूब सुना और उन्होंने विकास-विकास और विकास की बात की। भाजपा ने एक चेहरे को लेकर पूरा चुनाव लड़ा और ऐसा विश्वास दिलाने में वे फिर कामयाब रहे कि उनके पास मुख्यमंत्री के चेहरों का अकाल पड़ा हुआ है। उन्होंने एक नहीं हर चरण में अलग तरह के राग अलापे। पलायन से लेकर गधे तक चर्चा में रहे। यह पहली बार हुआ कि गधा इतना हिट हुआ। शमशान और कब्रिस्तान भी खूब गरमाया रहा। बसपा की बात करें तो उसकी चाल कछुवे की तरह रही। वे बिना शोर-शराबे के साथ शांति से चलते रहे।
यह तो 11 मार्च को ही पूरी तरह स्पष्ट होगा कि सरकार किसकी बनेगी या जोड़तोड़ कुछ ज्यादा ही हावी रहेगा, लेकिन एक बात मानी जा रही है कि परिणाम बेहद रोचक होंगे। अभी तो हर पार्टी जीत रही है, लेकिन असली होली तो 11 को ही मनेगी।
-टाइम्स न्यूज़ लखनऊ.
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