कर्ज़ माफी पर सरकार की नीयत साफ नहीं

रबी की फसल समेटने और खरीफ की बुआई शुरु करने में किसान कर्ज माफी को भूला रहेगा.

मीडिया में खबरें चल गयीं कि उत्तर प्रदेश में सरकार ने किसानों का कर्ज माफ कर दिया। उसके बाद बिल्कुल खामोशी है। किसान खुश होकर रबी की फसल समेटने में जुट गया है और प्रधानमंत्री उन राज्यों के चुनाव प्रचार में व्यस्त हो गये हैं जहां वर्ष के अंत में विधानसभा चुनाव होने हैं। किसान अपने काम और सरकार अपने काम में लग गये। रबी की फसल समेटने और खरीफ की बुआई शुरु करने में किसान कर्ज माफी को भूला रहेगा। थोड़ा आराम मिलते ही या बैंकों से किश्त जमा करने का नोटिस आने पर उसे पता चलेगा कि सरकार ने उसके कर्ज खाते में कोई पैसा जमा नहीं किया। चुनाव पूर्व भाजपा नेताओं द्वारा कर्ज माफी की घोषणा एक बार फिर एक धोखा सिद्ध होने जा रही है।

कर्ज़ माफी पर सरकार की नीयत साफ नहीं

बैंकों में पता करने पर प्रबंधकों का कहना है कि उनके पास कहीं से भी कर्ज माफी की कोई सूचना तक नहीं है। उनके कम्प्यूटर कर्जदार किसानों का नियमित ब्याज तथा विलम्ब शुल्क लगा रहे हैं। किश्त समय से अदा न करने वालों को नियमानुसार नोटिस भेजे जा रहे हैं तथा पैसा जमा कराने को कानूनी दायरे में दबाव की प्रक्रिया को भी शिथिल करने का कोई औचित्य नहीं। यह जबाव हमें सिंडिकेट बैंक, पंजाब नेशनल बैंक, प्रथमा बैंक तथा कार्पोरेशन बैंक आदि के प्रबंधकों ने उत्तर प्रदेश के किसानों की कर्ज माफी के सवाल पर दिया।

प्रबंधकों ने बताया कि इसी कारण अभी तक एक भी किसान के कर्ज माफी का काम नहीं हुआ। कर्ज बैंक माफ नहीं करेंगे। कर्ज सरकार माफ कर सकती है। इसके लिए सरकार अपने पास से किसानों का कर्ज अदा करेगी। जिसके लिए उनके पास कोई सूचना तक नहीं है। ऐसे में कर्जदारों पर लगातार ब्याज और समय से अदायगी न करने पर पेनाल्टी लगती रहेगी। वसूली को जरुरी दबाव भी जारी रहेगा।

यह सभी जानते हैं कि किसानों का वोट छिटकने के डर से भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने चुनाव प्रचार के दौरान चीख-चीख कर कहा था कि सरकार बनते ही 24 घंटों में किसानों का कर्ज माफ कर दिया जायेगा। इन बयानों पर भरोसा कर किसानों ने भाजपा को एकजुट होकर भारी बहुमत से सत्ता सौंप दी।

सत्ता मिलते ही सबसे पहले प्रधानमंत्री के सुर बदले। उन्होंने यह कहकर पल्ला छाड़ लिया कि केन्द्र सरकार किसानों के कर्ज माफी में आर्थिक सहयोग नहीं करेगा। इसके लिए प्रदेश सरकार अपने संसाधनों से कर्ज माफ करे। उधर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ प्रदेश के विकास के लिए धन मांगने प्रधानमंत्री के पास गये। उन्हें आश्वासन के सिवाय कुछ नहीं मिला। इसी से पता चल गया कि केन्द्र सरकार को उत्तर प्रदेश के किसानों से कोई हमदर्दी नहीं। उसे केवल चुनावों तक किसान याद रहते हैं। वोट पड़ते ही उन्हें भुला दिया जाता है।

उल्लेखनीय है कि हरियाणा, गुजरात, मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र में भाजपा सरकारें बनने के बाद किसानों को उनकी उपज का उचित मूल्य नहीं मिला। किसान आंदोलनरत हैं। उनकी आवाज दबाने की सरकारें कोशिश करती हैं। उत्तर प्रदेश में भी कर्जमाफी के लिए किसान जगह-जगह आंदोलनरत हैं। यही आंदोलन गति पकड़ गया तो यहां भी मोबाइल इंटरनेट सेवायें बद कर दी जायेंगी। दूसरे राज्यों में इसी तरह जनता की आवाज दबाई जा रही है। यहां भी ऐसा करने की कोशिश हुई तो सरकार को लेने के देने पड़ जायेंगे। ऐसे में किसान आंदोलन की राह पकड़ें उससे पहले उनकी कर्ज माफी हो जानी चाहिए।

-जी.एस. चाहल.


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