डॉ. रमाशंकर अरुण गरीबों, विशेषकर महिलाओं के चहेते चिकित्सक थे। वे जरुरतमंदों से कोई पैसा नहीं लेते थे। प्रत्येक पूर्णिमा और अमावस्या पर वे ब्रजघाट जाकर लोगों को आयुर्वेदिक दवाईयां मुफ्त बांटते थे। धार्मिक विचारों के कारण पूजा पाठ और धार्मिक सरोकारों में गहरी रुचि रखते थे। कई जड़ी-बूटियों से वे आयुर्वेदिक दवायें स्वयं तैयार करते थे। उनका जीवन बहुत सादा था। वे भोरकाल में उठकर नियमित मीलों टहलते थे। शाम को पांच बजे के बाद भी पैदल भ्रमण पर निकल जाते थे। यही वजह थी कि वे 90 वर्ष की आयु में भी नवयुवकों से अधिक स्फूर्तिवान और स्वस्थ थे।
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