उत्तर प्रदेश के किसानों ने भाजपा नेताओं पर भरोसा कर उसे रिकार्ड बहुमत प्रदान किया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में सूबे में भाजपा सरकार ने कार्यभार संभाल लिया। कैबिनेट की पहली बैठक भी हो गयी। सरकार ने यह भी ऐलान कर दिया कि किसानों के सहकारी और सरकारी बैंकों के कर्ज माफ किये जा रहे हैं। घोषणायें ही सुनने को मिल रही हैं। जबकि अभी यह भी पता नहीं चल रहा कि कितने किसानों के कर्ज माफ होंगे।
जब से केन्द्र में भाजपा की सरकार बनी है तीन साल बीतने पर यही सामने आया है कि शीर्ष नेतृत्व चुनावों में वायदे करती रही है लेकिन उन्हें पूरा करने में बहानेबाजी ही अधिक की गयी है। उत्तर प्रदेश के चुनाव से पूर्व पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सरकार बनते ही किसानों का कर्ज माफ करने का वादा कर वोट मांगे। किसानों ने उनकी मांग पूरी कर दी। अब किसानों का कर्ज माफी में देरी या नयी-नयी शर्तों का क्या औचित्य?
![]() |
योगी आदित्यनाथ और नरेंद्र मोदी. |
इन नेताओं ने न तो किसानों की संख्या बतायी और न ही कर्ज माफी की रकम। अब स्थिति अस्पष्ट बनायी जा रही है। लघु सीमांत किसानों को कर्ज माफी के लिए कहा गया। फिर उनकी तादाद दो करोड़ बतायी गयी। अब कहा जा रहा है कि 92 लाख किसानों का एक-एक लाख रुपयों का कर्ज माफ होगा। उसमें भी एक साल पहले जिन किसानों ने कर्ज रिन्युअल कराया वे छूट सीमा में नहीं होंगे। यह भी सुनने में आया है कि नियमित किश्त अदा कर रहे किसानों को भी इसका लाभ नहीं दिया जायेगा। इस तरह की बातों से किसान परेशान हैं। इस बात पर तो किसान सहमत हैं कि छोटे किसानों का कर्ज माफ किया जाना चाहिए। वे यह भी कहते हैं कि जिस दिन लोन माफी की घोषणा की गयी उससे पूर्व की कर्ज माफी की जानी चाहिए।
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक प्रदेश में कुल आबादी का सत्तर फीसदी किसान हैं। इस हिसाब से मोट तौर पर चौदह करोड़ किसान बैठते हैं। इनमें 92 फीसदी छोटे किसान हैं यानि बारह करोड़ से अधिक छोटे किसान होने चाहिएं। इन बारह करोड़ में से अधिकांश कर्जदार हैं। जिनपर सरकारी और सहकारी बैंकों का कर्ज है। किश्त अदायी के लिए या केसीसी रिन्युअल के लिए इनमें से कुछ ने इन्हीं बैंकों से टर्म्स लोन भी ले रखे हैं। बहुत से लोग महाजनों से किश्त अदायगी या लोन रिन्युअल के लिए कर्ज लेते हैं। इनको कर्ज के दबाव से बचाव की जरुरत है। जिसके लिए ऐसे सभी किसानों के कर्ज समाप्त किये जाने चाहिएं। सरकार को कोई भी चालाकी नहीं दिखानी चाहिए। इसमें किसी कमेटी आदि बनाने का बहाना भी नहीं चलेगा। क्योंकि सरकार ने बिना शर्त किसानों का कर्ज माफ करने का वादा किया था। उसमें यह भी शर्त नहीं थी कि अधिकतम एक लाख तक का कर्ज ही माफ किया जायेगा।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इस मामले में पूरी तरह संजीदा हैं। उनकी नीयत पर किसानों को भरोसा है। वे प्रदेश के विकास के लिए प्रधानमंत्री के पास पैकेज के लिए भी गये हैं। देखते हैं वे क्या रुख अपनाते हैं? लेकिन केन्द्र ने पहले ही किसानों की कर्ज माफी को प्रदेश सरकार को अपने संसाधनों से पूरा करने को कहकर स्वयं को अलग रखने की मंशा जाहिर कर दी। जबकि यह घोषणा प्रधानमंत्री और अमित शाह ने ही की थी। नरेन्द्र मोदी का इतिहास रहा है कि वे हमेशा दूसरों के छप्परों पर कद्दू उगाते रहे हैं।
-जी.एस. चाहल.
Gajraula Times के ताज़ा अपडेट के लिए हमारा फेसबुक पेज लाइक करें या ट्विटर पर फोलो करें. आप हमें गूगल प्लस पर ज्वाइन कर सकते हैं ...