यदि पालिकाध्यक्ष पद सामान्य अथवा एस.सी. वर्ग को मिला तो भाजपा की ओर से मौजूदा पालिकाध्यक्ष हरपाल सिंह सबसे मजबूत उम्मीदवार होंगे। उनके करीबी सूत्रों का कहना है कि दोनों ही परिस्थितियों में वे अपना दावा ठोकेंगे तथा उम्मीदवारी पाने में सफल भी रहेंगे।
यहां बताना चाहेंगे कि हरपाल सिंह 2012 के विधान सभा चुनाव में मंडी धनौरा से सपा लहर में भाजपा उम्मीदवार के रुप में पराजित हुए थे। बाद में उन्होंने गजरौला नगर पंचायत अध्यक्ष का चुनाव रिकॉर्ड मतों से जीत कर सभी को चौंका दिया था। इस बार विधानसभा चुनाव में उनके बजाय राजीव तरारा को उम्मीदवार बनाया गया और वे रिकॉर्ड मतों से जीत हासिल करने में सफल रहे।
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हरपाल सिंह के करीबी कह रहे हैं कि सामान्य की अधिक संभावना है। पहली बार पालिका चुनाव होना है। इसलिए इसे सामान्य में रखा जायेगा। ओबीसी वालों का तर्क है कि चाहें नगर पंचायत हो या नगर पालिका, दोनों एक ही श्रेणी नगर निकाय में आते हैं। अतः यह कहना गलत है कि गजरौला पहली बार पालिका बना है। यहां नगर निकाय के तौर पर पांच चुनाव हो चुके। दो बार सामान्य और तीन बार एस.सी. वर्ग में। यदि गजरौला ओबीसी के खाते में गया तो हरपाल सिंह लड़ाई से बाहर हो जायेंगे।
उनके करीबी सूत्र कहते हैं। इसके अलावा दोनों स्थितियों में वे चुनाव लड़ेंगे तथा भाजपा से उन्हें टिकट भी मिल जायेगा। विधानसभा का टिकट गंवाने के कारण पालिका की उम्मीदवारी मांगने पर पार्टी उनका दावा रद्द नहीं करेगी। सामान्य और एस.सी. में वे सबसे मजबूत दावेदार हैं। वे चाहेंगे तो उन्हें मौका दिया जायेगा।
-टाइम्स न्यूज़ गजरौला.
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