यदि पालिकाध्यक्ष पद एस.सी. वर्ग में आरक्षित हुआ तो अम्बेडकरवादी महेन्द्र सिंह आर्य चुनावी मैदान में उतरेंगे। यह जानकारी देते हुए आर्य ने बताया कि इस बार हसनपुर को इस वर्ग के लिए आरक्षित किया जाना चाहिए। अनुसूचित जाति के कई दूसरे नेता भी यह मांग कर रहे हैं। उनका कहना है कि हसनपुर अभी एक बार भी एस.सी. वर्ग को आरक्षित नहीं हुआ। जिसके कारण आर्थिक और सामाजिक रुप से पिछड़े इस वर्ग का कोई भी व्यक्ति यहां अभी तक पालिकाध्यक्ष नहीं बन पाया।
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महेन्द्र सिंह आर्य. |
महेन्द्र सिंह आर्य बसपा के पूर्व जिलाध्यक्ष तथा पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष कमलेश आर्य के पति हेम सिंह आर्य के छोटे भाई हैं। उनका जीवन बेदाग छवि तथा सामाजिक सदभाव और प्रभावशाली व्यक्तित्व की पृष्ठभूमि से एकाकार रहा है। लोग उनपर भरोसा करते हैं।
आर्य नगर की मूलभूत समस्याओं से गंभीरतापूर्वक वाकिफ हैं और उनके पीछे की वजहों और उनके निदान की बारीकियों को भली-भांति जानते हैं। उनका कहना है कि हसनपुर एक एतिहासिक शहर है जहां हमेशा नेताओं की अच्छी तादाद रही है, फिर भी शहर की हालत से पता चलता है कि यह मूलभूत नागरिक सुविधाओं से वंचित हैं।
जल निकासी, पीने का पानी और टूटी-फूटी सड़कें अपनी कहानी स्वयं बयान कर रही हैं। आर्य का दावा है कि पालिका बोर्ड विकास के धन को व्यवस्थित तरह से खर्च नहीं कर पाता। साथ ही निर्माण में मानकों की अनदेखी की जाती है। पैसे की कमी नहीं है। उसके सुरक्षित प्रयोग और उपयोग की अधिक जरुरत है जिसका बहुधा अभाव रहा है।
आर्य ने कहा कि उन्हें काम करने का मौका उपलब्ध हुआ तो वे हसनपुर को सुविधाजनक, समस्यामुक्त तथा ऐसा नगर बनाने में सफल होंगे जहां दूसरे स्थानों के लोग बसने को लालायित हों।
-टाइम्स न्यूज़ हसनपुर.
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