प्रदेश की योगी सरकार भी केन्द्र की मोदी सरकार के ढर्रे पर चल पड़ी है। किसानों से किये उसके वायदे खोखले सिद्ध होने शुरु हो गये हैं। घोषणा के बावजूद किसानों के आलू नहीं खरीदे जा रहे। ऐसे में किसान आलुओं को सड़कों पर फेंकने को मजबूर हैं। इस सिलसिले में भारतीय किसान यूनियन द्वारा आंदोलन छेड़ने के बावजूद प्रशासन या शासन पर कोई असर नहीं हो रहा। कई जगह सरकार की नींद खोलने को आलू जलाये जा रहे हैं। परंतु योगी सरकार इस ओर से बिल्कुल बेअसर है।
उल्लेखनीय है कि योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में सूबे में भारी बहुमत से सत्ता में आयी भाजपा सरकार की ओर से मुख्यमंत्री ने आलू का सरकारी मूल्य 478 रुपये घोषित कर दिया। साथ ही उन्होंने यह भी ऐलान कर दिया कि जो किसान चाहे इस भाव पर सरकारी क्रय केन्द्रों पर आलू बेच सकता है।
सरकारी घोषणा पर भरोसा कर कई किसान गजरौला तथा मंडी धनौरा क्रय केन्द्रों पर अपना आलू ले आये लेकिन उसे खरीदा नहीं गया। परेशान किसानों ने मंडी परिसर में पंचायत की। हजारों किसानों ने आलू खरीद की मांग उठाई। एसडीएम से भी अनुरोध किया लेकिन उन्होंने भी कोई ध्यान नहीं दिया। वास्तव में अधिकारियों के पास आलू खरीद का कोई सरकारी आदेश नहीं आया। अतः वे उसकी खरीद के लिए क्रय केन्द्र प्रभारियों से नहीं कह सकते।
जरुर पढ़ें : राहत के बजाय किसानों की बांह मरोड़ने की तैयारी
नाराज किसानों ने आलू बोरों से निकालकर एसडीएम की कार के आगे डाल दिये। और प्रशासन तथा शासन के खिलाफ जामकर नारेबाजी की। पूर्व घोषणा के मुताबिक धनौरा-गजरौला मार्ग भी जाम किया। उसके साथ ही आलू के ढेरों में आग लगा दी। इस मौके पर भाकियू ब्लॉक अध्यक्ष डूंगर सिंह, भोला सिंह, तारा सिंह, विजेन्द्र सिंह, राजेन्द्र यादव, निरंकार सिंह, सतीश चौधरी, सौवीर सिंह, कृपाल सिंह, सुरेन्द्र सिंह, मदन सैनी आदि किसान और भाकियू नेता मौजूद थे।
-टाइम्स न्यूज़ मंडी धनौरा.
Gajraula Times के ताज़ा अपडेट के लिए हमारा फेसबुक पेज लाइक करें या ट्विटर पर फोलो करें. आप हमें गूगल प्लस पर ज्वाइन कर सकते हैं ...