अमरोहा जनपद में परिषदीय प्राथमिक शिक्षा का बुरा हाल है। इसके लिए यहां वर्षों से सपा नेताओं की कृपा पात्र बनी बीएसए और उनकी छत्रछाया का लाभ उठा रहे तमाम खंड शिक्षा अधिकारी उत्तरदायी हैं। इन अधिकारियों ने सपा शासन में मनमानी करते हुए स्थानांतरण प्रक्रिया में भारी लूट-खसोट मचायी है। शिक्षा सुधार पर ध्यान देने के बजाय इन लोगों ने पूरा ध्यान स्थानांतरण पर ही लगाया है। यही कारण है कि बहुत से स्कूलों में अध्यापक कम हैं तो बच्चे ज्यादा जबकि कई स्कूलों में इसके विपरीत हालात हैं।
मंडी धनौरा ब्लॉक के फत्तेहउल्लापुर गांव में तीन बच्चों पर चार अध्यापक हैं। कभी-कभी ये बच्चे भी स्कूल नहीं आते। डेढ़ लाख रुपये प्रतिमाह तनख्वाह खर्च कर तीन बच्चों को पढ़ाया जा रहा है जबकि निजि स्कूलों में एक हजार बच्चों को पढ़ाने के लिए इतना वेतन खर्च नहीं होता। फत्तेहउल्लापुर तो एकमात्र उदाहरण है। जिलेभर का विवरण तैयार किया जाये तो स्थिति बहुत ही खराब है। बहुत से स्कूलों के रजिस्टरों में बच्चों के नाम दर्ज हैं लेकिन मौके पर तस्वीर इसके विपरीत है।
बीएसए और विद्यालय निरीक्षक सबकुछ जानते हैं। वे जानबूझकर जिले में प्राथमिक शिक्षा में व्याप्त भ्रष्टाचार को मिटाने के बजाय उसमें सहभागी हैं। प्रदेश में सरकार बदलने पर योगी जी ने जनपदों की पुलिस और प्रशासन के शीर्ष पदों के अधिकारियों में फेलबदल की है लेकिन उसका असर नीचे तक नहीं पहुंचा। ऐसे में सभी जिलाधिकारियों को विशेष निर्देश और शक्तियां प्रदान की जायें। अमरोहा के डीएम नवनीत सिंह चहल बहुत सक्रियता से काम कर रहे हैं। ऐसे में उनसे पूरी अपेक्षा है कि वे शिक्षा विभाग के शिथिल और नाकारा अधिकारियों के भी पेंच कसेंगे।
-जी.एस. चाहल.
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