सूखे और गर्मी के बीच बिजली व्यवस्था शहरी तथा ग्रामीण दोनों ही स्थानों पर चरमरायी हुई है। प्रदेश सरकार की शहरों को 24 तथा गांवों को बीस घंटे बिजली आपूर्ति की घोषणा धरी रह गयी है। इससे जहां शहरों में व्यापारी, उद्यमी तथा आम आदमी परेशान है, वहीं गांवों के किसान फसलों की सिंचाई तथा धान की रोपाई को लेकर आकाश की ओर देखने को मजबूर हैं। कई लोग मजबूरी में महंगा डीजल खरीदकर फसलें बचाने को मजबूर हैं। कहीं-कहीं थोड़ा बूंदाबांदी होने से कुछ राहत सी महसूस हुई थी लेकिन उससे कोई भी लाभ नहीं हुआ।
शहरों में बिजली शेड्यूल का पता ही नहीं लग रहा। लगातार बिजली नहीं मिल रही। कभी-कभी तो हर पांच मिनट में बिजली आती जाती रहती है और कभी घंटों नहीं आती। ट्रांसफार्मर तथा लाइनों में फाल्ट के कारण भी दिक्कते हैं। बिजली वाले ओवर लोड की बात कहकर लोगों को तसल्ली देते हैं। इससे कई स्थानों पर लोगों और बिजली वालों में टकराव होता रहता है।
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गजरौला बिजलीघर पर एक्सइएन के कार्यालय पर लगभग प्रतिदिन ही बिजली दिक्कतों को लेकर लोगों का तांता लगा रहता है। धनौरा तथा रजबपुर में किसानों के धरने और प्रदर्शन आम बात होती जा रही है। गांवों में शहरों से भी कम बिजली मिल रही है। कई गांवों में कई-कई दिन तक बिजली के दर्शन नहीं हो रहे।
किसान गन्ने, चारे और दलहनी फसलों को बचाये रखने के लिए जद्दोजहद कर रहे हैं लेकिन नीचे बिजली वाले और ऊपर भगवान भी उनकी सुनवाई नहीं कर रहा। वर्षा हो जाये तो किसानों को काफी राहत हो सकेगी।
-टाइम्स न्यूज़ अमरोहा.
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