कर्ज माफी के बजाय खाद पर लगाया जीएसटी, लेने के देने पड़ेंगे किसानों को

चुनाव जीतने के बाद भाजपा के जिम्मेदार नेता कर्ज खात्मे पर कई तरह के रंग बदल चुके हैं.

चुनाव से पूर्व सूबे में भाजपा की सरकार बनने के 24 घंटे में किसानों के कर्ज खत्म करने की घोषणा करने वाले प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी अपना वादा भूल आगामी लोकसभा के चुनाव तथा एक बार फिर से प्रधानमंत्री बनने की कोशिश में जुट गये हैं। जबकि लखनऊ से ताजा खबर है कि किसानों की कर्ज माफी में अभी देर लगेगी। चुनाव जीतने के बाद भाजपा के जिम्मेदार नेता कर्ज खात्मे पर कई तरह के रंग बदल चुके हैं। किसानों से अबतक कई बार झूठ बोला जा चुका है। एक बार तो कह दिया गया था कि उत्तर प्रदेश के किसानों के कर्ज माफ कर दिये गये हैं जबकि अभी तक इस सिलसिले में कुछ भी नहीं हुआ। हालत यह हो गयी है कि केन्द्र और राज्य सरकारों की उलझन में फंसकर किसान संगठनों के नेता भी चक्कर में फंस गये हैं। वे बार-बार प्रदेश सरकार के मुखिया योगी आदित्यनाथ के पास इस सिलसिले में पहुंच रहे हैं। योगी बार-बार उन्हें आश्वासन देकर वापस कर रहे हैं। प्रदेश भर में जिला स्तरों पर भाकियू समेत कई किसान संगठन यह मांग उठा चुके हैं। केवल ज्ञापन लेकर अधिकारी अपना पीछा छुड़ा रहे हैं।

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कितनी मजेदार बात है कि योगी आदित्यनाथ ने न तो चुनाव में कर्ज माफी की कोई घोषणा की थी। वे यह भी नहीं जानते थे कि प्रदेश का मुख्यमंत्री कौन बनेगा। वे उस समय केवल एक सांसद थे। उन्हें तो चुनाव के बाद अचानक ही मुख्यमंत्री बना दिया गया। कर्ज माफी की मांग उनसे की जा रही है। कर्ज माफी की घोषणा करने वाले प्रधानमंत्री के पास कोई नहीं जा रहा। उनसे यह मांग की जानी चाहिए। साथ ही उनकी जवाबदेही भी बनती है कि 24 घंटे में कर्ज माफी की घोषणा चार माह में भी क्यों पूरी नहीं की जा रही? उन्होंने तो सरकार बनते ही अपनी बला प्रदेश सरकार के गले में डाल दी। मुख्यमंत्री से साफ कह दिया प्रदेश सरकार अपने संसाधनों से किसानों का कर्ज माफ करे। प्रधानमंत्री का तीन साल से यही रवैया रहा है कि वे कुछ भी घोषणा करते रहे हैं और बाद में उसे पूरा करने की बात दूर, उसे भूल कुछ न कुछ नयी बाजीगरी शुरु कर देते हैं।

उधर खाद पर जीएसटी लगने से उर्वरक औसतन 50 रुपये कट्टा महंगा हो गया है। देखा जाये तो इसी से सरकार को किसानों से हजारों करोड़ रुपये प्रति फसल अतिरिक्त मिलेंगे। यानि किसानों के कर्ज से दबने के बावजूद उनकी कर्ज माफी को तो भुलाने की कोशिश हो रही है उल्टे उनपर टैक्स भार डालकर उन्हें बरबाद करने का काम करने में देर नहीं लगायी गयी।

बैलगाड़ी के टायर, ट्रैक्टर पार्टस तथा पंपिग सेट के पुर्जों पर भारी भरकम टैक्स लगाकर किसानों की आर्थिक रीढ़ तोड़ने का काम सरकार कर चुकी।

तीन साल से भाजपा सरकार किसान कल्याण का शोर मचा कर उन्हें आर्थिक रुप से कमजोर करने की कोशिश करती आ रही है। और किसान हर चुनाव में भाजपा के शीर्ष नेतृत्व के छलावे में उसका समर्थन करते आ रहे हैं। किसान संगठनों के सभी बड़े नेताओं को चाहिए कि वे एक मंच पर आकर किसानों को संगठित कर उनकी जायज मांगों को मजबूती से उठाने को संघर्ष छेड़ें।

-जी.एस. चाहल.


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