बिना मजबूत तैयारी और भाजपा के बड़े नेताओं की सहमती को दरकिनार कर जिला पंचायत अध्यक्ष के तख्तापलट में भाजपा नेता भूपेन्द्र सिंह सफल नहीं हो पाये लेकिन अब पेंच ऐसा फंस गया है कि एक सदस्य की खींचतान पर दोनों पक्षों को सारी ऊर्जा लगानी पड़ रही है। इसमें भाजपा के दो बड़े नेताओं की गुटबंदी में भूपेन्द्र सिंह को बलि का बकरा बनाया जा रहा है। दूसरे शब्दों में भाजपा की गुटबंदी रेनू चौधरी के लिए संजीवनी सिद्ध हो रही है। यह भी दिलचस्प है कि जिला पंचायत की कुर्सी रेनू चौधरी को दिलाने में भी भाजपा सदस्यों का अहम योगदान था। जो भूपेन्द्र सिंह अब उनका तख्ता पलट में संलग्न हैं उनकी पत्नि सरिता चौधरी का समर्थन भी रेनू चौधरी को मिला था।
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आपने हुए पराये : चौ. चंद्रपाल सिंह, रेनू चौधरी, सरिता चौधरी और चौ. भूपेंद्र सिंह. (फाइल फोटो सितम्बर 2016) |
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वीरवती सैनी. |
रेनू चौधरी के पति सरजीत सिंह के खिलाफ अपहरण की रिपोर्ट दर्ज होने के पीछे यही वजह है। वीरवती के बरामद होने के बाद भूपेन्द्र के खेमे को लक्ष्य हासिल होने की उम्मीद हो सकती है।
लेकिन यह जरुरी नहीं कि भाजपा नेताओं की गुटबंदी के चलते उन्हें अपने काम में सफलता मिल ही जाये।
-टाइम्स न्यूज़ अमरोहा.
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