कॉर्पोरेशन बैंक की शाखा का कैशियर नोटबंदी के बाद से मनमानी पर उतारु है। कई बार परेशान ग्राहक शाखा प्रबंधक से शिकायत कर चुके लेकिन वह अपनी कार्यशैली बदलने को तैयार नहीं। छोटे अकाउंट अर्थात दो ढाई हजार रुपये निकालने वालों को दो हजार या पांच सौ से कम के नोट नहीं दिये जाते। जबकि दस हजार या पांच सौ के बजाय सौ या उससे भी छोटे नोट थमा दिये जाते हैं। न तो हर ग्राहक प्रबंधक से शिकायत कर सकता है और न ही हर समय प्रबंधक इस काम के लिए खाली रहते हैं।
ऐसे हालात को देखते हुए कैशियर अपने व्यवहार में बदलाव लाने को तैयार नहीं है। ऐसे में बैंक में जमा राशि कम आ रही है या तो लोग दूसरी बैंकों का रुख कर रहे हैं अथवा पैसा बैंक के बजाय घर ही रख लेते हैं। नोटबंदी के बाद से कई कर्मचारियों का व्यवहार ग्राहकों के प्रति उपेक्षा भरा हो गया है तथा वे झूठ बोलकर छोटे-बड़े नोटों की कमी का बहाना बनाते रहते हैं।
-टाइम्स न्यूज़ गजरौला.
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